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पुष्पेश पंत
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त्योहारों में स्वाद की सौगात, खानपान के साथ सेहत का भी रखें ख्याल
गांव, कस्बों और शहरों में हर कोई त्योहारों पर जायका बदलने के लिये कुछ करते हैं, ताकि खानपान की एकरसता टूटे और उल्लास का माहौल बन सके.
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भारत के कई प्रांतों के भोजन में होते हैं स्वीट एंड सावर के दर्शन,...
अंग्रेजी में जिस जायके को स्वीट एंड सावर कहते हैं, उनके दर्शन हमें भारत के अनेक प्रांतों के भोजन में होते हैं. गुजराती और पारसी खाना इसके लिए प्रसिद्ध हैं.
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बेसन से बने मीठे-नमकीन व्यंजन
उत्तर भारत में नाश्ते के लिये बेसन के चिले बहुत लोकप्रिय थे, जिन्हें देसी निरामिष ऑमलेट का नाम दिया जाता था. आजकल शादी-ब्याह की दावतों में चाट वाले काउंटर पर इनके दर्शन ज्यादा होते हैं, जहां इन्हें पनीर भर कर स्पेशल बनाया जाता है.
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जायका : शाही दावतों में स्वाद का प्रबंध
शिखर वार्ताओं में मौसम बदलाव और खाद्य सुरक्षा प्रमुख मुद्दे थे. इसीलिए कई समीक्षकों का मानना है कि मोटे अनाज का जायका भारतीय कूटनीति का तुरुप का पत्ता था.
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सारी दुनिया में है टमाटर का जलवा, विभिन्न प्रदेशों में है इसके जायके का...
टमाटर हमारे देश में पुर्तगालियों के साथ दक्षिण अमेरिका से कोई 500 साल पहले ही पहुंचा और अपने अनोखे जायके के कारण हमारी जुबान ही नहीं, हमारे सिर पर भी चढ़ बैठा.
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मांसाहार का स्वाद देते शाकाहारी व्यंजन
बहुत सारी सब्जियां ऐसी हैं, जो शाकाहारियों के लिए सामिष भोजन की भ्रांति देती हैं. इनमें कटहल और जिमीकंद प्रमुख हैं. जानें, मांसाहार का स्वाद देनेवाले शाकाहारी व्यंजनों के बारे में...
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सुविधा और स्वाद के लिए बासी खाने का चलन
ओडिशा, बंगाल और असम के कुछ हिस्सों में पका भात खाने का रिवाज है. रात के बने भात को पानी में डुबो कर रखा जाता है ताकि अगले दिन सुबह उसमें हल्का सा खमीर उठ जाए. इसे बासी या त्याज्य नहीं समझा जाता, बल्कि गर्मियों या बारिश के मौसम में सुपाच्य और सेहत के लिये बेहद फायदेमंद समझा जाता है.
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Prabhat Special: सेहत बढ़ाने वाला पहाड़ी फल आलूबुखारा
अंग्रेजी राज के दौर में दूसरे फलों की तरह प्लम से जैम और जेली बनाना आम था. मगर हम हिंदुस्तानियों को मीठे जैम ही ज्यादा रास आते हैं, अत: यह उत्पाद भारत में बहुत लोकप्रिय नहीं हुए. हां, प्लम की मसालेदार चटनी जरूर अपनी उपस्थिति बीच-बीच में दर्ज कराती रहती है.
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तला खाने की तलब इतनी बुरी नहीं
वर्षा ऋतु में पानी गंदलाने लगता है और उदर रोग फैलते हैं. जिस खौलते तेल-घी में व्यंजन तले जाते हैं, उसका तापमान उबलते पानी से अधिक होता है और वह रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर देता है.