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शैबाल गुप्ता

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बिहार की हरसंभव मदद करे केंद्र

जैसे-जैसे वैश्वीकरण बढ़ा है, वैसे ही स्थानीय महामारियों के पूरी दुनिया में तेजी से फैलने का रुझान भी बढ़ा है. कोरोना वायरस रोग (कोविड-19) के बारे में भी हम ऐसा ही देख रहे हैं. आम तौर पर सबसे गरीब देशों पर सबसे अधिक मार पड़ती है, लेकिन इस बार सबसे अधिक विकसित देश प्रभावित हुए हैं. जैसाकि शुरू में माना जा रहा था कि भारत में गरीब राज्य सबसे अधिक प्रभावित होंगे, लेकिन वे अधिक प्रभावित नहीं हुए हैं. वायरस का फैलाव बिहार में नगण्य तो नहीं है, लेकिन अपेक्षाकृत कम है. बिहार को समय-समय पर टीबी, कालाजार और एन्सेफलाइटिस जैसे अन्य संक्रामक रोगों की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है. यह देखते हुए इस महामारी से बिहार को ऐतिहासिक, वित्तीय, अधिसंरचनात्मक, प्रवासी मजदूरों से संबंधित और अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार– इन पांच स्तरों पर निपटना है.

बिहार को विशेष प्रोत्साहन की जरूरत

विगत डेढ़ दशक में, बिहार में शासन प्रणाली को व्यवस्थित करने के प्रयास किये गये हैं. इसे पूरा करने के लिए राज्य की जरूरतों के अनुरूप बड़ी मात्रा में विशेष प्रोत्साहन की जरूरत है.

विचारधारा से दूर कांग्रेस

विडंबना ही है कि कांग्रेस को ऊपर के नेताओं ने हथिया लिया, जबकि भाजपा ने नेताओं को नीचे से तैयार किया. इस प्रक्रिया में भाजपा ने विशाल पार्टी ढांचा खड़ा कर लिया.

नौकरशाही में जल्द हो सुधार

बिहार जैसे राज्यों में जहां संसाधन कम हैं, परंतु आबादी घनी है. वहां नौकरशाही समेत प्रशासनिक तंत्र के विभिन्न स्तर पर मौजूद अक्षमता के घातक परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

नीतीश के सामने विपक्ष की जद्दोजहद

सत्तासीन गठबंधन के पास मुख्यमंत्री का एक सशक्त चेहरा और सामाजिक गणित है, जबकि विपक्ष अब भी उससे बड़ी लकीर खींचने की दिशा में जद्दोजहद कर रहा है.

ध्वस्त दुनिया का पुनर्निर्माण

आज उत्तर अमेरिका और यूरोप के देश तथा चीन अपने ‘हार्ड पावर’ (सैन्य शक्ति) के बल पर नहीं, ज्ञान पर आधारित अपने ‘सॉफ्ट पावर’ के आधार पर शीर्ष पर हैं. यह सॉफ्ट पावर ज्ञान के अवदान के अलावा संस्कृति, कला, संगीत, फिल्म आदि को भी समाहित करता है.
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