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शास्त्री कोसलेंद्र दास

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धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक ज्ञान का वाहक है चातुर्मास

शतपथ ब्राह्मण ने इसकी व्युत्पत्ति दी है- यव (जौ) अन्न वरुण के लिए है और ये इस कृत्य में खाये जाते हैं. अतः इसका नाम वरुणप्रघास है. यह कृत्य वर्षा ऋतु में आषाढ़ या श्रावण की पूर्णिमा को किया जाता है.

आंतरिक साधना है योग

असावधानी तथा शीघ्रता से किये योगाभ्यास से शरीरांगों को ऐसी हानि प्राप्त हो सकती है, जो कभी मिटाई नहीं जा सकती.
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