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रूस-यूक्रेन युद्ध रुकने के आसार कम, पढ़ें पूर्व विदेश सचिव शशांक का ये खास...

भारत, चीन और यूरोप के देश इस युद्ध को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि जो देश इस लड़ाई में शामिल हैं, वे पहले शांति के लिए आगे बढ़ें. जर्मनी और फ्रांस के शासन प्रमुख भारत आने वाले हैं. अगर वे कोई ठोस प्रस्ताव रखते हैं, तो भारत उस पर विचार करेगा.

शांति की राह आसान नहीं

अमेरिका काफी समय से अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी के लिए तैयारी कर रहा है. इसके लिए पिछले कई वर्षों से वह लगातार प्रयास भी कर रहा है.

पीएम की लेह यात्रा के निहितार्थ

भारत ने यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि यदि विस्तारवादी नीतियों के तहत कोई देश उसके खिलाफ कदम उठाने की कोशिश करता है, तो भारत उसका जवाब देना भी जानता है.

नक्शे की राजनीति पाक की मजबूरी

भारत को अपने खतरों को समझने की आवश्यकता है. हमें अपना व सेना का मनोबल बढ़ाना होगा और सुरक्षा की दृष्टि से, साझेदारी की दृष्टि से अपने को मजबूत करना होगा.

चीन की नापाक कोशिशों पर रहे नजर

चीन को यह डर लगता है कि भारत कहीं कुछ सख्त कदम न उठा ले, जिससे उसके आर्थिक गलियारे का काम प्रभावित हो जाये.

जरूरी है संयुक्त राष्ट्र में सुधार

पूरी दुनिया में एक ऐसा माहौल बन गया है कि कहीं से भी युद्ध की चिंगारी भड़क सकती है

चीन को कड़ा संदेश देने की जरूरत

भारत की विदेश नीति द्वारा चीन को स्पष्ट तौर पर यह समझाने की कोशिश हो रही है कि भारत और छोटे देशों के खिलाफ वह जो हरकत कर रहा है, वह अब नहीं चलनेवाली है.

अमेरिका के साथ द्विपक्षीय साझेदारी

अगर अमेरिका भारत के साथ िद्वपक्षीय साझेदारी को मजबूत करेगा, तो एशिया में भारत प्रभावी भूमिका निभा सकेगा और अन्य देशों के साथ तालमेल बेहतर हो सकेगा.

अमेरिका में लोकतंत्र का संकट

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