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तरुण विजय
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Opinion
एक नये भारतीय का उदय
कोरोना का संकट एक अनजान शत्रु का आक्रमण है, जिसका सामना अणुबम और मिसाइलें नहीं कर सकतीं. धन बल, शस्त्रबल, सबका अहंकार धरा का धरा रह गया और पृथ्वी घरबंद हो गयी
Opinion
नागरिक सुरक्षा ही राजधर्म
संकट की इस घड़ी में किसानपति-पत्नी दूसरे बैल की जगह जुए में बारी-बारी से खुद ही जुतते और गाड़ीखींचते रहे. वीडियो क्लिप में साफ दिख रहा था कि किस तरह गाड़ी के पहियेटेढ़े-मेढ़े होकर अलग हुए जा रहे हैं.
Badi Khabar
संसद से परे जो गढ़ते हैं भारत
Tarun Vijay article on jagdev ram oraon memory a brief biographyराजनेताओं में अक्सर यह गलतफहमी हो जाती है कि वह अपने पद व पैसे के कारण बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं. संस्कृत में कहावत भी है- सर्वे गुणा: कांचनमाश्रयंति। अर्थात सभी गुण धन से चमकते हैं. गांव में हमारी दादी इसी बात को साधारण भाषा में सुनाती थी- माया तेरे तीन नाम, परसा,परसु, परसराम. गरीब का नाम चाहे परसराम हो परंतु लोग उसे परसु ही पुकारते हैं. धन आ जाय तो परसु को भी परसराम जी कहने लग जाते हैं. पर सामाजिक जीवन में यह बात सत्य नहीं होती.
Opinion
महात्मा गांधी से है हमारी पहचान
आज विश्व में जहां भी हम जाते हैं, गांधी के देश से कह कर हमारा परिचय कराया जाता है. यह वैसा ही है, जैसे कोई अमेरिका का परिचय अब्राहम लिंकन या थॉमस जेफर्सन का संदर्भ देेकर कराए.
Opinion
भारत के दैदीप्यमान, जाज्वल्यमान रत्न थे महामना मदनमोहन मालवीय
भारतीय राष्ट्रीय इतिहास में महामना मदन मोहन मालवीय सदृश विराट पुरुष की कल्पना करना भी आज के समय में कठिन लगता है. इसलिए कठिन लगता है कि न केवल वे कट्टर और बेहद निष्ठावान हिन्दू धार्मिक नेता थे जिन्होंने न केवल हिन्दू महासभा की स्थापना की बल्कि उस समय वे चार बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए.
Opinion
आतंक के विरुद्ध हों एकजुट
हम भारतीयों की त्रासदी को बिहारी, गुजराती आदि में नहीं बांट सकते. गुजरात में बिहारी की रक्षा के लिए देश के दूसरे राज्य के नेताओं को भी आगे आना होगा.
Opinion
बंद होना चाहिए दलितों का उत्पीड़न
राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जातियों के विरुद्ध अपराध 2018 में 42,793 थे, जो वर्ष 2020 में 50 हजार से अधिक हो गये. यह सब इतना सामान्य हो गया है कि इन घटनाओं के बढ़ने पर न कोई आश्चर्य करता है, न कहीं हाहाकार होता है.
Opinion
सैनिक सम्मान रक्षा हेतु कानून बने
जब ऐश्वर्यशाली लोग भारतीय सेना और सैनिकों का मखौल उड़ाते हैं, तो उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती, जबकि किसी फटेहाल नेता के बारे में भी कोई टिप्पणी कर दे, तो उसकी तुरंत गिरफ्तारी हो जाती है. क्या सैनिक और सेना का सम्मान किसी नेता के सम्मान से कम आंका जाना चाहिए?