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उमेश चतुर्वेदी

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अब आसान नहीं अरविंद केजरीवाल की राह, पढ़ें उमेश चतुर्वेदी का खास लेख

Arvind Kejriwal : पहली बार आप को 54.3 प्रतिशत वोट और 67 सीटें मिलीं, तो दूसरी बार 53.57 प्रतिशत वोट और 62 सीटें मिलीं. कभी बंगला और गाड़ी न लेने तथा वीआईपी कल्चर न अपनाने के वादे के साथ राजनीति में आये केजरीवाल धीरे-धीरे इसी जनाकांक्षा को भूलते चले गये.

दिल्ली के चुनावी दंगल का तीखापन, पढ़ें उमेश चतुर्वेदी का खास लेख

Delhi assembly election : राष्ट्रीय राजधानी की राजनीति के जानकारों का मानना है कि सत्ता में वापसी की दौड़ में बीजेपी 2013 में अपनी रणनीतिक कमजोरियों की वजह से ही पिछड़ गयी. वह एक तरह से उसके लिए बड़ी फिसलन रही. बाद के दिनों में केजरीवाल की लोकप्रियता ने ऐसी गति पकड़ी कि लगातार दो चुनावों में बीजेपी खड़ी भी नहीं हो पायी.

भाषाओं को मरने से बचाना जरूरी

Languages Dying : यूनेस्को के अनुसार, एक हजार ईस्वी तक दुनियाभर में नौ हजार से कुछ ज्यादा भाषाएं अस्तित्व में थीं. जिनकी संख्या घटते-घटते आज सात हजार के आसपास सिमट गयी हैं. यूनेस्को को आशंका है कि भाषाओं के मरने की यदि यही दर बनी रही, तो 21वीं सदी के अंत तक दुनियाभर की करीब तीन हजार भाषाओं का अस्तित्व समाप्त हो चुका होगा.

नक्सलवाद पर नकेल के नाम रहा बीता वर्ष

Naxalism In India : नक्सली आतंक पर सफलता के पीछे रही तीन स्तरीय रणनीति, जिसके तहत सबसे पहले नक्सलियों पर समर्पण का दबाव बनाया गया. यदि इसके बावजूद नक्सली नहीं माने, तो उसकी गिरफ्तारी के लिए रणनीति बनायी गयी.

संविधान बचाने के नाम पर राजनीतिक नूराकुश्ती, पढ़ें उमेश चतुर्वेदी का खास लेख

Political Fight Between Congress BJP : इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर को छोड़ दें, तो मोटे तौर पर कांग्रेस जातीय गणित का समीकरण साधकर राजनीतिक जीत हासिल करती रही. अतीत में कांग्रेस का आधार वोट बैंक दलित, ब्राह्मण और मुस्लिम समुदाय रहा.

जयंती विशेष : भारत की मजबूत नींव के निर्माता थे सरदार पटेल

Sardar Vallabhbhai Patel : आधुनिक भारत की कई ऐसी नीतियां हैं, जिन पर संदर्भ की जब भी जरूरत महसूस हो, उस पर इस्पाती विचार चाहिए, तो सरदार कभी निराश नहीं करेंगे. राष्ट्रीय एकीकरण तो उनके व्यक्तित्व का निश्चित तौर पर बड़ा पहलू है.

चीन से सचेत रहना होगा भारत को

india-china-relations: भारत ने सैनिक और आर्थिक मोर्चे पर लंबा सफर तय कर लिया है, तो चीन इस अवधि में दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. ऐसे में सीधी सैनिक कार्रवाई की अपनी सीमाएं थीं. इसलिए विपक्षी दलों के उकसावों के बावजूद मोदी सरकार ने कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर चीन को घेरना शुरू किया.

स्वच्छ भारत अभियान का एक दशक

साल 2020 से स्वच्छ भारत अभियान संपूर्ण स्वच्छता अभियान में तब्दील किया जा चुका है. इसके लिए 1.40 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. जाहिर है कि स्वच्छता के मोर्चे पर देश ने बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि देश ने इस दिशा में सब कुछ हासिल कर लिया है. अब भी हमारे देश के कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां का मानस सार्वजनिक स्वच्छता को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध और सचेत नहीं हो पाया है. इस वर्ग को पूरी तरह प्रतिबद्ध और सचेत करना आवश्यक है.
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