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उमेश चतुर्वेदी

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चीन से सचेत रहना होगा भारत को

india-china-relations: भारत ने सैनिक और आर्थिक मोर्चे पर लंबा सफर तय कर लिया है, तो चीन इस अवधि में दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. ऐसे में सीधी सैनिक कार्रवाई की अपनी सीमाएं थीं. इसलिए विपक्षी दलों के उकसावों के बावजूद मोदी सरकार ने कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर चीन को घेरना शुरू किया.

स्वच्छ भारत अभियान का एक दशक

साल 2020 से स्वच्छ भारत अभियान संपूर्ण स्वच्छता अभियान में तब्दील किया जा चुका है. इसके लिए 1.40 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. जाहिर है कि स्वच्छता के मोर्चे पर देश ने बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि देश ने इस दिशा में सब कुछ हासिल कर लिया है. अब भी हमारे देश के कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां का मानस सार्वजनिक स्वच्छता को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध और सचेत नहीं हो पाया है. इस वर्ग को पूरी तरह प्रतिबद्ध और सचेत करना आवश्यक है.

अतीत और वर्तमान की बाधाओं से जूझती हिंदी

Hindi Diwas 2024 : हिंदी की राह में आजादी के पहले ज्यादा बाधाएं नहीं थीं. इसकी शायद यह बड़ी वजह रही कि भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के अगुआ महात्मा गांधी स्वयं हिंदी के हिमायती थे. उनके पहले केशव चंद्र सेन, लोकमान्य तिलक जैसी व्यक्तित्व भी हिंदी की सामर्थ्य को पहचान चुके थे.

जम्मू-कश्मीर : किस करवट बैठेगा चुनावी ऊंट

Jammu Kashmir Election : जम्मू-कश्मीर की मौजूदा विधानसभा में अब 114 सीटें हैं, जिनमें से 24 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लिए सुरक्षित हैं. चुनाव बाकी 90 सीटों के लिए हो रहा है. इस चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन है, जबकि पीडीपी अकेले लड़ने की तैयारी में है.

लाल किले से प्रधानमंत्री का संदेश

मोदी ने इस छवि को तोड़ने की कोशिश की है. अल्पसंख्यक मंत्रालय के जरिये बड़ी योजनाएं शुरू हुईं. लेकिन कभी भी मुस्लिम समुदाय का ठोस समर्थन भाजपा को नहीं मिला. उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के एक गांव को लेकर खबरें भी आयीं कि इस मुस्लिम बहुल इस गांव में सैकड़ों परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा मिला, पर लोकसभा चुनाव में इस गांव में भाजपा को महज चार-पांच वोट ही मिले.

संसदीय बहस के लाइव प्रसारण पर विचार का वक्त

लाइव प्रसारण के चलते अब जनता तक वे सारी बातें भी पहुंच रही हैं, जिन्हें बाद में संसदीय कार्यवाही से निकाल दिया जा रहा है. दिलचस्प यह है कि सांसदों की बातों को जब रोका जाता है, तो वे इसे अपने प्रति दुर्भावना बताने लगते हैं.

पंजाब व दक्षिण में भाजपा के प्रदर्शन के मायने

ओडिशा और तेलंगाना के लोकसभा चुनाव के नतीजों तथा पंजाब, तमिलनाडु और केरल में भाजपा की बढ़त का संदेश साफ है. भाजपा, कांग्रेस की तरह अखिल भारतीय पार्टी बन चुकी है.

लोकसभा चुनाव में जीत के बावजूद भाजपा के लिए झटका

भाजपा अपने दम पर ढाई सौ का आंकड़ा भी पार करती नहीं दिख रही है. भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीद जिस उत्तर प्रदेश से रही है, वहां वह चालीस से भी नीचे जाती दिख रही है.
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