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Vijay Bahadur
प्रभात खबर के वाईस प्रेसिडेंट हैं और बी पॉजिटिव कॉलम के लेखक और पॉजिटिव वीडियो के क्रिएटर और यूट्यूबर हैं . उनके सोचने का नज़रिया सकारात्मक है और उनके जीवन का मूलमंत्र है .
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उम्मीद का दामन नहीं छोड़ें
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए 24 मार्च को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन कर दिया गया. संक्रमण से बचने के लिए देश के पास शायद ही कोई और उपाय था, लेकिन 130 करोड़ की आबादी वाले देश में ये कोई आसान काम भी नहीं है. करीब 12 दिन बीत गये हैं.
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कोरोना और उसके सबक
हिंदुस्तान में कोरोना के कारण 19 दिनों के लॉकडाउन का दूसरा चरण जारी है. दुनिया के 200 से ज्यादा देश इस महामारी के प्रकोप से भयाक्रांत हैं. एक तरफ संक्रमण का डर, वहीं दूसरी तरफ इससे पड़ रहा मानसिक और आर्थिक प्रभाव. ये नकारात्मक प्रभाव छोटे स्तर के नहीं हैं, बल्कि सुनामी की तरह हैं.
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संक्रमण काल से उभरते निष्कर्ष
देश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण लॉकडाउन 3.0 शुरू हो गया. हर व्यक्ति सिर्फ यही कामना कर रहा है कि ये वक्त बस अब गुजर जाये. लेकिन, इस संक्रमण काल ने बहुत कुछ सिखाया है और बहुत सारी चीजें आईने की तरह साफ होती जा रही हैं.
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फिर से मुस्कुराएगी जिंदगी
कोरोना काल मानवता के सामने सबसे भयावह संकट के साथ खड़ा है. मानवता के सामने यह यक्ष प्रश्न है कि क्या जिंदगी एक बार फिर से मुस्कुराएगी ?
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जड़ों से जुड़ने की जद्दोजहद
पिछली सदी में 1960 के आसपास बलराज साहनी की एक फिल्म आयी थी दो बीघा जमीन. ये उस वक्त का आईना थी. इसमें किसान कड़ी मेहनत कर अपने छोटे भाई को पढ़ा-लिखा कर शहर में नौकरी करने भेजता है, लेकिन जब वह किसान खुद बुरे वक्त में होता है, तो शहरी भाई उसे भूल जाता है. 21वीं सदी के कोरोना संकट काल में यह उलट हो गया है. शहरी भाई शहरों में गलीज जिंदगी बसर कर अपने गांव को समृद्ध करता है और जब मुसीबत में घर लौटता है, तो गांव वाला भाई उसे दुश्मन मान बैठता है.
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सफल कौन है ?
पिछले लगभग तीन महीने में कोरोना संक्रमण के बाद इंसान के जीवन में रहन- सहन और सोचने के नजरिये में काफी बदलाव आया है. आज ये साबित हो रहा है कि किसी भी इंसान के लिए मूलभूत जरूरत पूरा करने की कीमत काफी कम है.
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आज में जीयें, कल की सोचें
बेहतरीन वक्त जो आपने गुजारा है उससे आनंदित होकर प्रेरणा लें, सिर्फ भावुकता में नहीं बहें. वर्तमान को बेहतर तरीके से जीने की कोशिश करें और आनेवाला कल कैसे बेहतर हो इसको लेकर चिंतन और योजना बनायें.
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वर्क फ्रॉम विलेज
B positive : बहुत सारी अच्छी खबरें रोजाना आजकल सुनने और पढ़ने को मिल रही हैं, जबकि सिर्फ 4 महीने पहले तक रोज ये खबरें मिलती थीं कि कैसे लोग ग्रामीण इलाकों से शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं. गांव सिकुड़ रहे हैं और शहरों का विस्तार होकर कंक्रीट के नये जंगल बन रहे हैं.
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हाशिए पर बैठा इंसान और सफलता
अपने आसपास देखिए. हर दिन मीडिया में वैसे लोगों की सफलता की कहानियां नजर आती हैं, जिन्होंने विपरीत हालात में जीवन में बेहतर मुकाम बनाया है.