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विराग गुप्ता

लेखक और वकील

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नये कानूनों की सफलता राज्यों पर निर्भर

अभी तक दर्ज मुकदमों की सुनवाई पुराने कानूनों के अनुसार होगी. नये कानूनों को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गयी है, लेकिन इन्हें लागू करने की अधिसूचना नहीं जारी हुई है. उसके बाद दर्ज मामलों की लिखा-पढ़ी और सुनवाई नये कानूनों के अनुसार होगी.

अपराधों की बदलती प्रवृत्ति पर हो ठोस कार्रवाई

हमें पुलिस व्यवस्था, न्यायिक व्यवस्था और मौजूदा कानूनों में बड़े बदलावों के लिए समन्वित प्रयास करने की जरूरत है. अपराध दर्ज होने के साथ जल्द न्याय मिलने का अधिकार देश में सभी को हासिल है, जिसे सुनिश्चित करने में केंद्र सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है.

अदालतों में तारीख पे तारीख का बढ़ता नासूर

प्रधान न्यायाधीश के अनुसार पिछले दो महीनों में वकीलों ने सुनवाई के स्थगन के लिए 3688 पर्चियां दीं. इन्हीं दो महीनों में 2361 अर्जियों से जल्द सुनवाई का आग्रह किया गया है. कानून के अनुसार किसी मामले में तीन बार से ज्यादा स्थगन नहीं देना चाहिए.

ऑनलाइन गेमिंग पर ठोस नियम बने

केंद्र सरकार ने गेमिंग पर नियमों का जो मसौदा जारी किया है, वे समाज, अर्थव्यवस्था और कानून के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं. इन नियमों को नोटिफाई करने के बाद गेमिंग कंपनियां स्व-नियमन के लिए खुद का नियामक बनायेंगे, जिसके तहत सभी कंपनियों का पंजीकरण जरूरी होगा

नियम विरुद्ध कैद का हो समाधान

सख्त कानूनी व्यवस्था और जेल में रखने के लिए कड़े नियम, बड़े अपराधियों से निपटने के लिए बनाये जाते हैं, लेकिन हकीकत में उनका इस्तेमाल कमजोर लोगों के खिलाफ ही होता है.

राजद्रोह पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

राजद्रोह कानून को निरस्त करने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए. यह ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मुक्ति का शंखनाद हो सकता है.

विचाराधीन कैदियों की रिहाई की बने राह

लगभग 4.88 लाख लोग जेलों में बंद हैं, जिनमें 3.71 लाख विचाराधीन कैदी हैं. इनमें से अधिकतर गरीब और कमजोर वर्गों से जुड़े हैं.

स्पष्ट और प्रभावी डाटा कानून जरूरी

केंद्रीय आइटी मंत्री के अनुसार इस संतुलित कानून से भारतीय ग्राहकों को डिजिटल सुरक्षा मिलने के साथ स्टार्टअप अर्थव्यवस्था को लाभ होगा. इससे ग्राहकों की सहमति के बगैर डाटा का व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं हो पायेगा.
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