ब्लू व्हेल गेम का दिनोंदिन नये कहर ढाता जा रहा है़ रूस से शुरू हुआ इसका सुरूर देश भर के बच्चों पर छाये जा रहा है़ इसकी धुन में कर्इ किशोर आत्मघाती कदम उठा चुके हैं. आैर कर्इ एेसे भी हैं, जो इस आॅनलाइन गेम के जाल में फंसकर अपनी जान तक देने को तैयार हैं.
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट से लेकर सीबीएसर्इ, यूनिसेफ आैर कर्इ राज्य सरकारों ने भी इस गेम पर अविलंब रोक लगाने आैर देश के नौनिहालों को इससे बचाने के लिए बच्चों आैर उनके अभिभावकों के लिए खास दिशानिर्देश दिये जा रहे हैं.
शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को इस बारे में सतर्क रहने को कहा गया है़ सभी स्कूलों को इस बारे में निर्देश जारी किये गये हैं. सरकारी आदेशों के मुताबिक इसकी कड़ी निगरानी सुनिश्चित करनी है कि बच्चे यह गेम न खेलें. इसके अलावा, प्रबंधकों व प्रिंसिपलों से स्कूलों में मोबाइल, लैपटॉप या दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट पर प्रतिबंध लगाने या शिक्षकों की निगरानी में इनके इस्तेमाल की बात भी कही गयी है.
सीबीएसर्इ आैर यूनिसेफ के दिशानिर्देशों के मुताबिक, यह खतरा उन स्कूलों के बच्चों को सबसे ज्यादा है, जहां इंटरनेट सुविधा वाली कंप्यूटर लैब हैं. छात्र इस गेम को सर्च ही न कर पायें, इसके लिए स्कूलों को इंटरनेट में प्रॉक्सी लगानी होगी. इसके साथ ही शिक्षकों को भी इस बात की निगरानी करने को भी कहा गया है कि बच्चे इंटरनेट पर क्या सर्च कर रहे हैं. अकेले छात्रों को किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का इस्तेमाल न करने देने को कहा गया है.
ब्लू व्हेल गेम के खतरे को देखते हुए सीबीएसई की आेर से स्कूलों को दिये गये साइबर सुरक्षा के लिए जारी दिशानिर्देश के तहत बिना इजाजत किसी भी स्टूडेंट को स्कूल या स्कूल की बस में इंटरनेट ऐक्सेस करने वाले गैजेट लाने की अनुमति नहीं है.
इसके अलावा उन्हें अपनी उम्र के मुताबिक ही कुछ चुनी हुर्इ वेबसाइट्स एक्सेस की परमिशन होगी. यही नहीं, सीबीएसर्इ से एफिलिएटेड स्कूलों को यह सख्त हिदायत दी गयी है कि वे नियमित तौर पर अपनी कंप्यूटर लैब में उपलब्ध इंटरनेट मैटेरियल की माॅनिटरिंग करें.
इसके अलावा, माॅर्निंग असेंबली के दौरान बच्चों को गेम से दूर रहने के लिए जागरूक किया जा रहा है़ अभिभावकों को भी बच्चों को मोबाइल से दूर रखने की बात कही जा रही है़ इसपर भी अगर वे बच्चों को मोबाइल देते हैं, तो उन पर कड़ी नजर रखें.
आप भी ध्यान दें कुछ जरूरी बातों का-
- बच्चों को ज्यादा देर तक मोबाइल न दें.
- रात में बच्चे को मोबाइल इस्तेमाल न करने दें.
- बच्चा अकेला मोबाइल लेकर न बैठा रहे.
- बच्चे की हर हरकत पर नजर रखें.
- बच्चा अगर कम बात कर रहा है, तो इसकी वजह पूछें.
- बच्चे के फोन पर कौन से एेप हैं, इसपर नजर रखें.
- बच्चा कंप्यूटर इस्तेमाल कर रहा है, तो उसकी ब्राउजिंग हिस्ट्री चेक करते रहें.