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खत्म हो रहा है डीजल – पेट्रोल कारों का दौर, भारतीय वाहन कंपनियों के लिए चुनौती

नयी दिल्ली : पेट्रोल व डीजल से चलने वाले वाहनों का अंतिम दौर आ चुका है. दुनिया भर की वाहन कंपनियां इलेक्ट्रिक इंजन पर रिसर्च कर रही हैं. उधर, कल केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि वाहन कंपनियों को वैकल्पिक ईंधन की ओर बढ़ना चाहिए. चेतावनी भरे लहजे में बात करते हुए गडकरी […]

नयी दिल्ली : पेट्रोल व डीजल से चलने वाले वाहनों का अंतिम दौर आ चुका है. दुनिया भर की वाहन कंपनियां इलेक्ट्रिक इंजन पर रिसर्च कर रही हैं. उधर, कल केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि वाहन कंपनियों को वैकल्पिक ईंधन की ओर बढ़ना चाहिए. चेतावनी भरे लहजे में बात करते हुए गडकरी ने कहा कि भले ही आपको यह पसंद हो या नहीं. मैं आपसे कहूंगा भी नहीं लेकिन इन वाहनों को ध्वस्त कर दूंगा. चौंकाने वाले इस बयान से वाहन कंपनियों में हडकंप मच गयी है. कल मारूति कंपनी ने एक न्यूज पोर्टल को इंटरव्यू में कहा कि हम इलेक्ट्रिक वाहन बनाने को लेकर तैयार हैं और इसके लिए रिसर्च एंड डेवलेपमेंट का काम जारी है.

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टेस्ला कंपनी ने इस तरह बदल दी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में पूरी तरह से बदलाव की स्क्रिप्ट टेस्ला कंपनी ने लिखी है. 2003 से लेकर अभी तक बेहद कम समय में टेस्ला कंपनी ने इस दिशा में बेहतरीन काम कर पूरी दुनिया के ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के सामने चुनौती खड़ी कर दी. 2017 के शुरुआती महीने तक कंपनी दो लाख से ज्यादा कारें बेच चुकी है. अमेरिकन ऑटोमेकर, एनर्जी स्टोरेज, सोलर पैनल मैन्यूफैक्चर्र कंपनी टेस्ला धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों की सबसे बड़ी कंपनी बनने की कगार पर है.
कंपनी को 2008 में पहली कामयाबी मिली जब उसने इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स वाहन बनाये. यही नहीं इलेक्ट्रिक वाहनों के इकोसिस्टम को बेहतर बनाने के लिए कई यूरोप और अमेरिका के कई जगहों पर कंपनी ने सुपरचार्जिंग सेन्टर भी खोले. छोटी-छोटी जगह मसलन रेस्टोरेंट व महत्वपूर्ण रास्तों पर भी चार्जिंग सेंटर खोले गये हैं. भारत में उस तरह की व्यवस्था अभी तक विकसित नहीं हो पायी है लेकिन सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर गंभीर है.
प्रदूषण से बचने का नायाब तरीका है इलेक्ट्रिक वाहन
इलेक्ट्रिक वाहन से सरकार को प्रदूषण से लड़ने में मदद मिलेगी. बताया जा रहा है कि भारत के शहरों में प्रदूषण की बड़ी वजह डीजल व पेट्रोल वाहन भी है. शहरों में बढ़ते प्रदूषण और गर्मी के लिए पेट्रोल और डीजल वाहनों को बहुत बड़ा जिम्मेदार कारक माना जाता रहा है. इस परिस्थिति में भारत में इलेक्ट्रिक वाहन की जरूरत महसूस की जा रही है. सरकार डीजल व पेट्रोल वाहन में ज्यादा टैक्स लगा सकती है. गडकरी ने सरकार की योजना पर बात करते हुए कहा कि उनका बड़ा लक्ष्य ये है कि 2030 तक देश में सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक वाहन हों.
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इसके लिए उन्होंने इंडस्ट्री के लोगों को ‘कुछ नया सोचने, रिसर्च करने और नई तकनीक पर काम करने’ की सलाह दी. उन्होंने कहा, आज हर आदमी के पास कार है. सड़कों पर कारों की संख्या बढ़ती जा रही है और अगर यही रफ्तार रही तो सड़कों पर एक अतिरिक्त लेन बनाने की जरूरत पड़ जाएगी.
सऊदी अरब की अर्थव्यवस्थाकोलगसकता है झटका
इलेक्ट्रिक वाहनों के आगमन के साथ ही तेल अधारित अर्थव्यवस्था वाले देशों के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है. सऊदी अरब व अन्य खाड़ी देश जिनकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तेल पर निर्भर है. उनके लिए मुश्किल दिन आने वाले हैं. खाड़ी देश अपनी अर्थव्यवस्था को विविध बनाने के लिहाज से काम कर रहे हैं लेकिन यह उतना भी आसान नहीं है. रिसर्च में भी बताया गया है कि 2020 के बाद इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग का चलन बढ़ने के कारण पेट्रोलियम की कीमतें कम होंगी.
अमरावती होगा पहला डीजल – पेट्रोल कार फ्री सिटी
आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती में सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही चलेंगे. बताया जा रहा है कि यूके के मास्टर आर्किटेक्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार को यह सलाह दी है. यह इको फ्रेंडली और प्रदूषण रहित वाहन होंगे. नयी राजधानी में 51 प्रतिशत ग्रीनरी, 10 प्रतिशत पानी, 14 प्रतिशत रोड और 25 प्रतिशत इमारत होगी.

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