Don”t worry : पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें नहीं बढ़ायेंगी चिंता, कॉफी से चलेंगी गाड़ियां
नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय बाजारों में क्रूड आॅयल की कीमत बढ़ती है तो बढ़ती रहे, घरेलू स्तर पर भी पेट्रोलियम कंपनियां डीजल-पेट्रोल की कीमत बढ़ाती हैं तो बढ़ाती रहें, चिंता की कोर्इ बात नहीं. वह इसलिए कि अब गाड़ियां पेट्रोल डीजल के बजाय काॅफी से चलेंगी. हालांकि, यह हैरान करने वाली बात है, लेकिन यह […]
नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय बाजारों में क्रूड आॅयल की कीमत बढ़ती है तो बढ़ती रहे, घरेलू स्तर पर भी पेट्रोलियम कंपनियां डीजल-पेट्रोल की कीमत बढ़ाती हैं तो बढ़ाती रहें, चिंता की कोर्इ बात नहीं. वह इसलिए कि अब गाड़ियां पेट्रोल डीजल के बजाय काॅफी से चलेंगी. हालांकि, यह हैरान करने वाली बात है, लेकिन यह सच है. पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं.
इसे भी पढ़ेंः पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों ने तोड़ा रिकॉर्ड
हर कोई बढ़ते दामों की मार झेल रहा है, लेकिन इसी बीच ऐसी खबर आयी है, जो आपको राहत दे सकती है. लंदन में कॉफी से बसें चलायी जा रही हैं. हो गये न हैरान, लेकिन ये खबर पूरी तरह सच है. बीबीसी की खबर के मुताबिक, लंदन परिवहन ने कॉफी से निकाले गये कचरे से निकलने वाले तेल से बसें चला रहा है. ये जानकारी खुद लंदन परिवहन के अधिकारियों ने दी है. कॉफी से जो तेल निकलता है, उसे ब्लेंडिंग ऑयल कहते हैं. उस तेल को डीजल में मिलाकर बायोफ्यूल बनाया है. ये बायोफ्यूल लंदन की पब्लिक ट्रास्पोर्ट की बसों में इस्तेमाल हो रहा है. अगर ये एक्सपेरिमेंट सही रहा बायोफ्यूल का इस्तेमाल हर जगह हो सकेगा.
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, लंदन स्थित टेक्नोलॉजी फर्म बायो-बीन लिमिटेड का कहना है कि उन्होंने इतना बायोफ्यूल बनाया है जिससे एक बस को पूरा पावर मिल सकता है. ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन पेट्रोल का इस्तेमाल कम करके तेजी से बायोफ्यूल का इस्तेमाल कर रहा है.
कंपनी की मानें, तो लंदन के लोग कॉफी से एक साल में 2 लाख टन कचरा निकाल सकते हैं. आपको बताते चलें कि लंदन की 9,500 बसों में वेस्ट प्रोडक्ट से बनाये गये बायोफ्यूल से गाड़ियां चलती हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब कॉफी से बायोफ्यूल बनाया गया है.
कंपनी के मुताबिक, कॉफी शॉप और फैक्ट्रीज से कॉफी में वेस्ट मटेरियल सबसे ज्यादा होता है. ऐसे में वो यहां से कचरा उठाते हैं और अपनी फैक्ट्री में ले जाकर ऑयल निकालते हैं. जिसके बाद B20 बायोफ्यूल से प्रोसेस किया जाता है. जिसके बाद बसे में इसका इस्तेमाल बिना किसी परिवर्तन के हो रहा है.