न्यूयार्क : साइबर अपराध को रोकने के लिए फिंगर प्रिंट या पासवर्ड के बजाय एक आधुनिक प्रमाणीकरण प्रकिया के तहत स्मार्टफोन से ली गयी एक तस्वीर का विश्लेषण करके डिवाइस की पहचान की जा सकती है.
अमेरिका स्थित बुफेलो विश्वविद्यालय के कुई रेन ने बताया, बर्फ के टुकड़े की तरह, दो स्मार्ट फोन एक जैसे नहीं हो सकते. भले ही निर्माण में ध्यान दिया जाए या नहीं दिया जाए सभी डिवाइस की पहचान सूक्ष्म इमेजिंग खामियों के एक पैटर्न के जरिए की जा सकती है जो हर तस्वीर में मौजूद रहती है.
रेन ने बताया, यह एक बंदूक की गोलियों से मेल खाती हुई जैसी होती है, जिसकी पहचान हम लोग एक स्मार्टफोन के कैमरा से कर रहे हैं. यह तकनीक नकद निकालने, एटीएम और ऑनलाइन लेन-देन के करने में उपभोक्ता द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले पिन नंबर और पासवर्ड के जैसे प्रमाणीकरण प्रक्रिया का हिस्सा बन सकता है.
रेन ने बताया कि जिन लोगों के पास अपनी निजी पहचान चोरी हो गयी है वह भी अपने नाम पर खरीददारी को रोकने के लिए साइबर अपराधी को उस जानकारी का उपयोग करने से रोकने में मदद कर सकता है. डिजिटल कैमरा समान रूप से बनाया जाता गया है. हालांकि सभी कैमरा के सेंसरों में विनिर्माण कमियों में थोड़ा-बहुत अंतर रह जाता है.