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HOPE की मदद से दूर-दराज के स्कूल बनेंगे स्मार्ट, जानें…

दूर-दराज के स्कूलों में मल्टीमीडिया कंटेंट के जरिये नौनिहालों का भविष्य गढ़ने में मदद के लिए मुंबई के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के पूर्व प्रोफेसर कीर्ति त्रिवेदी ने एक विशेष उपकरण का आविष्कार किया है.जेब में समा सकने वाले इस उपकरण की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे चलाने के लिए न तो बिजली […]

दूर-दराज के स्कूलों में मल्टीमीडिया कंटेंट के जरिये नौनिहालों का भविष्य गढ़ने में मदद के लिए मुंबई के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के पूर्व प्रोफेसर कीर्ति त्रिवेदी ने एक विशेष उपकरण का आविष्कार किया है.जेब में समा सकने वाले इस उपकरण की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे चलाने के लिए न तो बिजली की आवश्यकता होती है और न ही इंटरनेट की दरकार.

इस आविष्कार को होप (High-speed Outernet Powered Education) का नाम दिया गया है. वर्ष 1993 में सेवानिवृत्ति से पहले आईआईटी मुंबई के औद्योगिक ​डिजाइन केंद्र से जुड़े रहे त्रिवेदी ने इंदौर प्रेस क्लब में इस उपकरण का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन किया.

इस दौरान उन्होंने संवाददाताओं से कहा, होप बिजली या इंटरनेट कनेक्शन के बिना तत्काल वाई-फाई नेटवर्क बना देता है. इस नेटवर्क से 100 फुट के क्षेत्रफल में 30 स्मार्ट फोन या टैबलेट या लैपटॉप या डेस्कटॉप जोड़े जा सकते हैं. इसके जरिये मल्टीमीडिया कंटेंट तेज रफ्तार में देखा, पढ़ा और सुना जा सकता है.

त्रिवेदी ने कहा, होप के जरिये मल्टीमीडिया कंटेंट के इस्तेमाल के लिए डेटा की न तो कोई सीमा है, न ही इसके वास्ते कोई सेवा शुल्क चुकाने की जरूरत है. आईआईटी मुंबई के पूर्व प्रोफेसर ने कहा कि उनका यह आविष्कार दूर-दराज के इलाकों में पढ़ने वाले स्कूली बच्चों को समर्पित है. त्रिवेदी ने कहा, मैं होप की विनिर्माण तकनीक का पेटेंट नहीं कराऊंगा.

मैं इस पर कोई एकाधिकार नहीं रखना चाहता. मैं सरकारी या निजी क्षेत्र की किसी भी योग्य इकाई से इसकी तकनीक साझा करने को तैयार हूं, ताकि दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए बड़े पैमाने पर इसका विनिर्माण किया जा सके. उन्होंने बताया कि शुरुआती तौर पर होप की 50 इकाइयां तैयार की गयी हैं.

इसकी एक इकाई बनाने में उन्हें लगभग 8,000 रुपये का खर्च आया है. अगर बड़े पैमाने पर इसका विनिर्माण किया जाये, तो यह लागत घटकर 3,000 से 4,000 रुपये प्रति इकाई तक पहुंच सकती है. उन्होंने स्पष्ट किया कि होप के जरिये इंटरनेट या इंटरनेट आधारित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

इस उपकरण के जरिये केवल उसी मल्टीमीडिया कंटेंट तक पहुंचा जा सकता है, जो इसमें पहले से डाला गया हो. उन्होंने बताया कि शुरुआती तौर पर होप 32, 64 और 128 जीबी की इंटरनल मेमोरी वाले तीन मॉडलों में विकसित किया गया है. लेकिन इसमें एसडी कार्ड लगाकर इसकी मेमोरी एक टेराबाइट तक बढ़ायी भी जा सकती है.

इस उपकरण में 12,000 एमएएच क्षमता का पॉवर बैंक भी लगाया गया है. इसे प्रोजेक्टर से भी जोड़ा जा सकता है. त्रिवेदी ने कहा कि उन्होंने हालांकि दूर-दराज के स्कूलों में मल्टीमीडिया कंटेंट के जरिये बच्चों को पढ़ाने के लिए होप का आविष्कार किया है. लेकिन इसका इस्तेमाल कौशल विकास के कार्यक्रमों, होटल-रेस्तराओं और अन्य क्षेत्रों में भी किया जा सकता है.

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