वाशिंगटन : कृत्रिम मेधा (एआई) के दुरुपयोग को लेकर आशंकाओं के बीच प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल ने कहा है कि वह हथियारों में काम आने वाली ऐसी कोई तकनीक विकसित नहीं कर रही है. कंपनी के भारतीय मूल के सीईओ सुंदर पिचाई ने एक ब्लागपोस्ट में लिखा है कि कंपनी हथियारों व उन अन्य प्रौद्योगिकियों के लिए न तो एआई का डिजाइन करेगी और न ही कार्यान्वयन करेगी, जिनका उद्देश्य लोगों को चोट पहुंचाना हो सकता है.
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पिचाई ने लिखा है कि कंपनी अंतरराष्ट्रीय तौर पर स्वीकार्य नियमों का उल्लंघन करते हुए निगरानी के लिए सूचनाओं के इस्तेमाल वाली प्रौद्योगिकी नहीं बनायेगी. उन्होंने लिखा है कि हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम हथियारों के इस्तेमाल के लिए एआई का विकास नहीं कर रहे हैं, लेकिन हम अनेक अन्य क्षेत्रों में सरकार और सेना के साथ काम करते रहेंगे.
गौरतलब है कि अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की एक परियोजना में शामिल होने को लेकर कंपनी की आलोचना हो रही है. कंपनी ने हाल ही में कहा था कि वह रक्षा विभाग की मेवन परियोजना के साथ काम करना बंद कर रही है. यह चित्रों के विश्लेषण की एआई आधारित परियोजना है, जो ड्रोन हमलों को और सटीक बना सकती है.
इसके बाद कंपनी के हजारों कर्मचारियों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर किये, जिसके अनुसार यह गूगल के नैतिकता संबंधी सिद्धांतों के खिलाफ है. इंडीपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार, इस पत्र में कहा गया है कि गूगल को युद्ध कारोबार में शामिल नहीं होना चाहिए.