नयी दिल्ली : इंटरनेट व स्मार्टफोन के जरिये दुनियाभर में कम-से-कम दो-तिहाई लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. करीब 10 फीसदी इंटरनेट यूजर्स ने माना है कि वे चाहकर भी सोशल मीडिया पर बिताया जाने वाला अपना समय कम नहीं कर पाते.
एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक, इनके दिमाग के स्कैन से मस्तिष्क के उस हिस्से में गड़बड़ दिखती है, जहां ड्रग्स लेने वालों के दिमाग में दिखती है. हमारी भावनाओं, एकाग्रता और फैसले को नियंत्रित करने वाले दिमाग के हिस्से पर काफी बुरा असर पड़ता है. सोशल मीडिया इस्तेमाल करते समय लोगों को एक छद्म खुशी का भी एहसास होता है, क्योंकि उस समय दिमाग को बिना ज्यादा मेहनत किये ‘इनाम’ जैसे सिग्नल मिल रहे होते हैं.
यही कारण है कि दिमाग बार-बार और ज्यादा ऐसे सिग्नल चाहता है, जिसके चलते आप बार-बार सोशल मीडिया पर पहुंचते हैं. यही लत है. एक बार में अनेक प्रकार के काम करने को शायद आप मल्टीटास्किंग समझते हों, लेकिन असल में ऐसा करते रहने से दिमाग ‘ध्यान भटकाने वाली’ चीजों को अलग से पहचानने की क्षमता खोने लगता है और सूचना को दिमाग की स्मृति में ठीक से बैठा नहीं पाता.
दिमाग के वे हिस्से जो प्रेरित होने, प्यार महसूस करने या चरम सुख पाने पर उद्दीपित होते हैं, उनके लिए अकेला सोशल मीडिया ही काफी है. अगर आपको लगे कि आपके पोस्ट को देखने और पढ़ने वाले कई लोग हैं तो यह अनुभूति और बढ़ जाती है. इसका पता दिमाग फेसबुक पोस्ट को मिलने वाली ‘लाइक्स’ और ट्विटर पर ‘फॉलोअर्स’ की बड़ी संख्या से लगाता है.