फिलहाल Luxury कार नहीं बनायेगी मारुति-सुजुकी, सस्ते मॉडलों में ही देगी BMW जैसा फीचर
नयी दिल्ली : देश में सवारी कार बाजार के 52.54 फीसदी हिस्से पर कब्जा रखने वाली सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति-सुजुकी का फिलहाल लक्जरी कार श्रेणी में उतरने का कोई इरादा नहीं है. उसकी कोशिश लागत प्रभावी कारों में ही प्रीमियम फीचर देने की है. दरअसल, कंपनी की 37वीं सालाना आम बैठक में उसके शेयरधारकों […]
नयी दिल्ली : देश में सवारी कार बाजार के 52.54 फीसदी हिस्से पर कब्जा रखने वाली सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति-सुजुकी का फिलहाल लक्जरी कार श्रेणी में उतरने का कोई इरादा नहीं है. उसकी कोशिश लागत प्रभावी कारों में ही प्रीमियम फीचर देने की है. दरअसल, कंपनी की 37वीं सालाना आम बैठक में उसके शेयरधारकों में से एक ने कंपनी प्रबंधन से कहा कि जब कंपनी का दबदबा देश के 50 फीसदी से अधिक यात्री वाहन बाजार पर है, तो उसके लिए बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज-बेंज और ऑडी जैसी लक्जरी कार कंपनियों की तरह इस श्रेणी में उतरने के लिए यह सही समय है.
इसे भी पढ़ें : मारुति सुजुकी का बिक्री नेटवर्क 2,000 के पार, 1,643 शहरों में पहुंच बनाई
इस पर कंपनी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने जवाब दिया कि कंपनी की कोशिश सस्ते उत्पादों में ही लक्जरी कार जैसे प्रीमियम फीचर ग्राहकों को मुहैया कराने की है. लक्जरी कारों का उत्पादन उसके कारोबारी मॉडल को सुहाता नहीं है. भार्गव ने कहा कि आज हमारे पास नयी सियाज है, जिसमें काफी कम लागत पर ‘प्रीमयम श्रेणी’ कारों के बहुत से फीचर मौजूद हैं.
उन्होंने कहा कि हमें ध्यान रखना चाहिए कि भारत कीमत को लेकर एक बहुत संवेदनशील देश है और हमारी कारों की विशेषता ही उनकी वहनीयता है. उन्होंने यह भी कहा कि कम कारों का उत्पादन कर उन्हें ऊंची कीमतों पर बेचना कंपनी की कारोबारी रणनीति के हिसाब से ठीक नहीं है. भार्गव ने कहा कि मारुति की ताकत बड़े पैमाने पर उत्पादन है. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि कंपनी ग्राहकों को प्रीमियम फीचर नहीं मिलेंगे.
उन्होंने कहा कि हम अपनी कारों को बेहतर बनाना जारी रखेंगे. साथ ही, हमारे ग्राहकों को दिये जाने वाले मूल्यों को भी बेहतर बनाना जारी रखेंगे, लेकिन किस कार का उत्पादन हमें करना है, इसका निर्णय कृपया कंपनी के निदेशक मंडल को करने दिया जाये. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल जून तिमाही में कंपनी की हिस्सेदारी यात्री वाहन बाजार में बढ़कर 52.54 फीसदी हो गयी है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 50.43 फीसदी थी.