निकट भविष्य में हमारे कान में होंगे स्मार्टफोन
आनेवाला युग अत्याधुनिक श्रव्य उपकरणों की तकनीक का युग होगा. केवल हम ही नहीं, मशीनें भी सुनेंगी और हमारी मंशा के अनुसार स्वतःस्फूर्त काम करेंगी. डोपलर की असफलता के बाद अमेजन, एप्पल और गूगल में रेस जारी है कि कौन पहले इस श्रव्य तकनीक के साथ बाजार और फिर जनमानस तक पहुंचेगा. इस तकनीक की […]
आनेवाला युग अत्याधुनिक श्रव्य उपकरणों की तकनीक का युग होगा. केवल हम ही नहीं, मशीनें भी सुनेंगी और हमारी मंशा के अनुसार स्वतःस्फूर्त काम करेंगी. डोपलर की असफलता के बाद अमेजन, एप्पल और गूगल में रेस जारी है कि कौन पहले इस श्रव्य तकनीक के साथ बाजार और फिर जनमानस तक पहुंचेगा. इस तकनीक की जानकारी पर आधारित है आज के इन्फो टेक की प्रस्तुति…
अमूमन, हम इस बात से अनभिज्ञ होते हैं कि हमारे कानों में बेहद मूल्यवान गुण हैं. जब हम सो रहे होते हैं, हमारी आंखें सो जाती हैं लेकिन कान सक्रिय होते हैं. कान हमारे शरीर के सबसे ‘एक्टिव’ कार्यकर्ता होते हैं.
हजारों लोग सफर करते हुए या ड्राइव करते समय पढ़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन बोलना या सुनना कहीं ज्यादा आसान होता है. कान मुंह से सिर्फ इंच भर की दूरी पर स्थित होते हैं, इसलिए वे, स्मार्ट स्पीकर्स की तुलना में बेहतर श्रव्य साधन होते हैं. इसलिए दुनियाभर के तकनीकी विशेषज्ञों के अथक प्रयासों के बाद भविष्य में अब ऐसे उत्पाद हमारे बीच मौजूद होंगे, जो कानों में बैठकर हमारे काम आसान करेंगे.
इन उत्पादों की मदद से हम भविष्य में एआई-वर्धित ध्वनियां, जिन्हें हम शब्द बोलते हैं, उन्हें ज्यादा करीब से समझने में सक्षम होंगे. इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में बाजार भी अपनी बड़ी संभावनाएं देख रहा है. इसी तरह, इंग्लैंड के कैम्ब्रिज में शुरू हुए स्टार्टअप के अंतर्गत, जिसे ऑडियो एनालिटिक कहा जाता है, ऐसे उपकरण बना रहा है जो पहले से ही खिड़की तोड़ने या बच्चे की रोने की आवाजों को पहचानने की क्षमता प्रदान कर रहा है. आने वाले समय में हम देखेंगे कि अमेजन आपके खांसने की आवाज सुनेगा और खांसी की दवाइयों के विज्ञापन भेजने लगेगा.
बाजार के लिहाज से देखें तो वायरलेस ब्लूटूथ हेडफोन बहुत चलन में हैं. इस आधार पर कहा जाये तो भविष्य के पदचिह्न अब यहीं दिखायी दे रहे हैं.नतीजतन, श्रवण क्षमता बढ़ाने वाले मशीन बनाने वाली कंपनियां भी बाजार में अनेक ऐसे उत्पाद उतार रहीं हैं, जो तकनीकी से रूप से उन्नत हैं. इन वायरलेस उपकरणों के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों को जोड़ने की कोशिश की जा रही है. ये कंपनियां ऐसे वायरलेस इयरबड बनाने में सक्षम हैं, जो बायोमेट्रिक्स साधनों में आती ही हैं, यानी हृदय की धड़कन, रक्तचाप या नाड़ी मापती हैं और ऐसे स्पीकर साबित हो सकती हैं, जो आपके औसत हेडफ़ोन से बेहतर होती हैं.
स्टार्की हियरिंग टेक्नोलॉजीस के सलाहकार, पूर्व एप्पल मार्केटिंग एग्जिक्यूटिव सतजीव चहिल कहते हैं, “भविष्य में तकनीकी कंपनियां संगीत और फोन कॉल की तकनीकों के बजाय श्रवण तकनीक और साधनों पर जोर दे सकती हैं.” ये उपकरण आपका आभासी सहायक बनकर कानों में फुसफुसायेंगे. कोशिश है कि, इन उत्पादों को स्वास्थ्य एवं कल्याणकारी मानकों पर केंद्रित रखा जायेगा.
ये तो सामने दिख रहे फायदे हैं. इसी क्रम में, डॉल्बी प्रयोगशाला के वरिष्ठ वैज्ञानिक पॉपी क्रम के अनुसार, ये उन्नत श्रव्य उपकरण भविष्य में ऐसे उन्नत सेंसर और तकनीक के साथ आयेंगे, जो यहां तक भांप लेंगे कि आप किस दिशा में इशारा कर रहे हैं.
उनमें आपके ह्रदय की गति, स्ट्रेस मापने वाले गुण होंगे. इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम सेंसर के माध्यम से आपके दिमाग की गतिविधियां विश्लेषित की जा सकेंगी यह आपकी श्रवण क्षमता और उसके आधार पर आपके द्वारा सुनाई दे रही आवाजों पर दी गयी प्रतिक्रिया को भी भांप लेंगे. आसान शब्दों में कहें तो, भविष्य में, ये अत्याधुनिक उपकरण आपके बोले शब्दों से कहीं ज्यादा समझने में सक्षम होंगे.
ईयरफोन्स की बात हटा दें, तो ज्यादातर लोग श्रव्य उपकरणों को चिकित्सा संबंधी उपकरण ही समझतेहैं. इसलिए अभी तक, इन्हें बनानी वाली कंपनियों को खाद्य एवं औषधि विभाग से मान्यता लेनी पड़ती है, मुहर लगवानी पड़ती है.
उपभोक्ताओं को भी ऑडिओलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श के बाद ही आमतौर पर श्रव्य उपकरण प्राप्त होते हैं, जो इंश्योरेंस के अंतर्गत भी नहीं आता है. फिर भी इन उपकरणों का बाजार 6 बिलियन डॉलर से ज्यादा का है. इसलिए भी कंपनियां इन्हें बाजार के एक ऐसे अवसर के तौर पर देख रही हैं जो दुनिया में छा जाने का मौका है.
बाजार में कब महसूस की गयी नयी श्रव्य तकनीक की आहट
अक्तूबर 2016 में, तकनीकी कंपनी रॉयल्टी के एक प्रभावशाली समूह ने डोपलर लैब्स नामक स्टार्टअप की तरफ से एक उपकरण का प्रदर्शन किया था. इस दौरान, माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स और सीईओ सत्य नडेला, एप्पल के इंटरनेट प्रमुख एडी क्यू और एप्पल के बीट्स हेडफोन समूह के प्रमुख जिमी इवोइन, अमेजन, फेसबुक, गूगल और टेनेंट के सी-सुइट अधिकारियों को एक-एक उपकरण प्राप्त हुआ.
डोपलर के एक वायरलेस ईयरबड के प्री-प्रोडक्शन संस्करणों का इस्तेमाल करते हुए, उन्होंने नेपथ्य से आने वाले अनावश्यक शोर का संपादन करने, कमरे में मौजूद किसी व्यक्ति-विशेष की आवाज बढ़ाने और दूसरी भाषा में बोलनेवाले लोगों के साथ भी बातचीत करने की उपकरण की इस अद्भुत क्षमता का अनुभव किया. लगभग आधे सेकेंड बाद, एक डोपलर कर्मचारी ने स्पैनिश में एक प्रश्न पूछा, जिसका कंप्यूटरीकृत अनुवाद उपकरण पहननेवाले ने अंग्रेजी में सुना. इसके बाद, कम से कम दो कंपनियों ने अनौपचारिक अधिग्रहण के लिए बोलियां की, लेकिन किसी ने भी इस महत्वपूर्ण नये उत्पाद की डोपलर को तैयार करने लायक पर्याप्त कीमत नहीं दी.
बिक्री नाकाम रही, और एक साल बाद ही कंपनी बंद कर दी गयी. लेकिन, यहीं पर कहानी का अंत नहीं लिखा था. कंपनी के बंद होने के कुछ हफ्तों के भीतर ही, डोपलर के शीर्ष तकनीशियनों में से आधे से अधिक तकनीकी क्षेत्र के दिग्गजों के लिए काम कर रहे थे.