अलग-अलग अंतरिक्ष प्रोग्राम्स में सफलता , देश में बढ़ती अंतरिक्ष गतिविधियों और चंद्रयान -3 मिशन से उत्साहित, मोदी सरकार ने बुधवार को तेजी से बढ़ते अंतरिक्ष क्षेत्र में देश की उपलब्धियों पर अपने रिपोर्ट कार्ड का अनावरण करते हुए पोस्ट की एक सीरीज जारी की है. माइक्रोब्लॉगिंग साइट X (पहले ट्विटर) में कहा गया, अंतरिक्ष नवप्रवर्तन में हमारी शक्ति का प्रमाण! और कहा, ”2014 से पहले, केवल 35 विदेशी सैटेलाइट लॉन्च किए गए थे. अंतरिक्ष उद्यमों के माध्यम से मुनाफे की यात्रा के साथ देश ने पिछले 9 सालों में 389 विदेशी सैटेलाइट लॉन्च करके 3,300 करोड़ रुपये से अधिक रुपये कमाए. बता दें भारत ने 15 फरवरी 2017 को पीएसएलवी-सी3 पर 104 उपग्रहों को लॉन्च करने का विश्व रिकॉर्ड भी कायम किया. वहीं, रिपोर्ट्स की माने तो लॉन्च किये गए 104 सैटेलाइट्स में 101 इंटरनेशनल बायर्स के थे.
पेश किये गए रिपोर्ट में आगे बताते हुए कहा गया कि, भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र का बजट साल 2013-14 में 5,615 करोड़ से बढ़कर दस सालों के दौरान 12,543 करोड़ रुपये हो गया. बता दें यह 123 प्रतिशत की बढ़त है. सैटेलाइट लॉन्च में बढ़त के साथ इसरो की लॉन्च रेट भी साल 2014 से पहले 1.2 वार्षिक लॉन्च मिशन से बढ़कर 2014 के बाद से प्रभावशाली 5.7 सैटेलाइट हो गयी. भारत सरकार ने आने वाले समय में अंतरिक्ष नवप्रवर्तकों के पोषण पर भी जोर दिया क्योंकि छात्र सैटेलाइट्स को लॉन्च करने के लिए इसरो की संख्या 2014 से पहले चार से बढ़कर 2014 के बाद से 11 हो गई है.
जारी किए गए पोस्ट में कहा गया है कि इसका उद्देश्य युवा दिमाग को प्रज्वलित करना और उन्हें ब्रह्मांड की ओर प्रेरित करना था. हालांकि चंद्रयान-2 लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, लेकिन इसका ऑर्बिटर ज्ञान का प्रतीक” बन गया है क्योंकि इसने चंद्रमा पर टन डेटा के साथ ब्रह्मांड को रोशन किया, जिससे दुनिया भर के शोधकर्ताओं को प्रेरणा मिली. आठ उन्नत वैज्ञानिक उपकरणों के साथ, चंद्रयान-2 ऑर्बिटर चंद्रमा से मूल्यवान वैज्ञानिक निष्कर्ष भेज रहा है, जिनमें से महत्वपूर्ण अनुसंधान के लिए चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं (एच2ओ) और हाइड्रॉक्सिल (ओएच) की उपस्थिति का स्पष्ट प्रमाण है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें भारत ने इन नौ वर्षों में अंतरिक्ष में अग्रणी पार्टनरशिप के लिए कई देशों के साथ हाथ मिलाया. उनमें से महत्वपूर्ण है इस साल पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत द्वारा नासा के नेतृत्व वाले आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर करना. सरकार ने कहा कि समझौते का उद्देश्य शांतिपूर्ण चंद्रमा अन्वेषण है और चंद्रयान -3 का डेटा आर्टेमिस मानव लैंडिंग का समर्थन कर सकता है. 470 करोड़ रुपये की भारत-अमेरिका संयुक्त उपग्रह परियोजना, एनआईएसएआर, पृथ्वी-अवलोकन मिशन के लिए दो एजेंसियों के बीच पहला संयुक्त हार्डवेयर डेवलपमेन्ट है.