लंदन : यूजर्स का डाटा बेचने वाली सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर लगातार गंभीर आरोप लग रहे हैं. उस पर अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए अपने यूजर्स की व्यक्तिगत जानकारी लीक करने के आरोप लगे हैं.
ब्रिटेन की एक संसदीय समिति की ओर से जारी आंतरिक दस्तावेजों से इस बात के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं कि फेसबुक ने अपने यूजर्स के डाटा का इस्तेमाल प्रतिस्पर्धात्मक हथियार के रूप में किया है. साथ ही फेसबुक ने इस संबंध में अपने यूजर्स को हमेशा अंधेरे में रखा.
संसद की मीडिया समिति ने बुधवार को फेसबुक पर आरोप लगाया कि वह विशेष सौदे के तहत कुछ एप डेवलपर्स को अपने उपयोगकर्ताओं की जानकारी तक आसनी से पहुंच दे रहा है. वहीं, जिन एप डेवलपर्स को वह अपना प्रतिद्वंद्वी मानता है, उनकी राह में रोड़े अटका रहा है.
समिति ने 200 से ज्यादा पन्नों का दस्तावेज जारी किया है, जिसमें यूजर्स की निजी जानकारी की कीमत को लेकर फेसबुक की आंतरिक बहस को शामिल किया गया है. इन दस्तावेजों में वर्ष 2012 से 2015 के बीच के समय का जिक्र किया गया है. उसी वक्त फेसबुक सार्वजनिक मंच बना था.
यह दस्तावेज कंपनी के कामकाज और उसने धन कमाने के लिए किस हद तक लोगों के डाटा का उपयोग किया है, यह दिखाते हैं. हालांकि, कंपनी सार्वजनिक रूप से लोगों की निजता की सुरक्षा करने का वादा करती है. फेसबुक ने दस्तावेजों को गुमराह करने वाला बताते हुए इसे कहानी का हिस्सा करार दिया.
कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘दूसरे कारोबारों की तरह हम भी अपने प्लेटफॉर्म के लिए सतत कारोबारी मॉडल को लेकर आंतरिक बातचीत करते हैं.’ यह स्पष्ट है कि हमने कभी लोगों का डाटा नहीं बेचा. फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने एक पोस्ट में इन दस्तावेजों का संदर्भ मांगा है.
उन्होंने लिखा, ‘बेशक हम हर किसी को अपने प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दे सकते.’ समिति के मुताबिक, फेसबुक ने वर्ष 2015 में अपनी नीति में बदलाव के बावजूद एयरबीएनबी और नेटफ्लिक्स जैसी कंपनियों को सफेद सूची में रखते हुए अपने उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाये रखनी की इजाजत दी.