नयी दिल्ली : राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने जर्मनी की ऑटोमोबाइल कंपनी फॉक्सवैगन पर डीजल कारों में उत्सर्जन का स्तर छिपाने वाले उपकरण का इस्तेमाल कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के मामले में गुरुवार को 500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. एनजीटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कंपनी को दो महीने के भीतर यह राशि जमा कराने को कहा है.
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हालांकि, कंपनी ने कहा कि उसने भारत स्टेज-चार के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया है. उसने कहा कि परीक्षण के परिणाम सड़क पर किये गये परीक्षणों पर आधारित है, जिसके लिए तय मानक नहीं है. पीठ ने इस बारे में कहा कि स्वस्थ आर्थिक वृद्धि एक मुख्य दिशा-निर्देशक तत्व है. हम रिपोर्ट पर कंपनी की आपत्ति को स्वीकार नहीं कर सकते हैं.
एनजीटी ने कहा कि सीपीसीबी इस राशि का इस्तेमाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और अन्य अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता बेहतर करने में कर सकता है. एनजीटी ने 16 नवंबर 2018 को कहा था कि फॉक्सवैगन ने देश में डीजल कारों में उत्सर्जन का स्तर छिपाने वाले उपकरणों का इस्तेमाल कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है. एनजीटी ने तब कंपनी को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पास 100 करोड़ रुपये की अंतरिम राशि जमा कराने को कहा था.
अधिकरण ने सीपीसीबी, भारी उद्योग मंत्रालय, ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी शोध संस्थान के प्रतिनिधियों का एक संयुक्त दल भी गठित किया था. संयुक्त दल ने दिल्ली में अत्यधिक नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन से लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने को लेकर 171.34 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का सुझाव दिया था.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि फॉक्सवैगन की कारों ने दिल्ली में 2016 में करीब 48.678 टन नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन किया. एनजीटी में एक शिक्षक ऐलावदी एवं कुछ अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई हो रही थी. इन याचिकाओं में उत्सर्जन संबंधी प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर फॉक्सवैगन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गयी थी.