आइआइटी पटना की खोज: जीरो ग्रेविटी पर भी सैटेलाइट को किया जायेगा ठंडा
पटना : आइआइटी पटना के थर्मल एंड फ्लूइड ट्रांसपोर्ट लेबोरेटरी (टीएफटीएल) ने एक नया आविष्कार किया है. इनके आविष्कार से अंतरिक्ष में स्थित सैटेलाइट को ठंडा करना आसान हो जायेगा. यह आविष्कार जीरो ग्रैविटी पर भी काम करेगा. इस खोज को पेटेंट भी कर दिया गया है. इसे आइआइटी पटना के मैकेनिकल डिपार्टमेंट के डॉ […]
पटना : आइआइटी पटना के थर्मल एंड फ्लूइड ट्रांसपोर्ट लेबोरेटरी (टीएफटीएल) ने एक नया आविष्कार किया है. इनके आविष्कार से अंतरिक्ष में स्थित सैटेलाइट को ठंडा करना आसान हो जायेगा. यह आविष्कार जीरो ग्रैविटी पर भी काम करेगा. इस खोज को पेटेंट भी कर दिया गया है. इसे आइआइटी पटना के मैकेनिकल डिपार्टमेंट के डॉ ऋषि राज और पीएचडी करने वाले स्टूडेंट्स डॉ एमडी क्यू रजा ने इजाद किया है. इनके शोध का टाइटल है ‘सर्फेक्टेंट बेस्ड बॉलिंग सिस्टम फॉर जीरो ग्रैविटी’ है.
डॉ ऋषि ने कहा कि जो वाष्प संचय से बचने और बुलबुले को हीटर की सतह से दूर करने के लिए आम साबुन और डिटर्जेंट में पाये जाने वाले सर्फेक्टेंट का उपयोग किया गया है. बबल रिमूवल मैकेनिज्म अंतरिक्ष में स्थिति सैटेलाइट को ठंडा किया जा सकता है. थर्मल कंट्रोल सिस्टम (टीसीएस) को नये प्रकार से डिजाइन करने का अवसर मिला है. इस संबंध में टीएफटीएल अंतरिक्ष केंद्र में थर्मल सिस्टम ग्रुप, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को सहयोग कर रहा है, ताकि गर्म के लिए एक कॉम्पैक्ट हीट स्प्रेडर विकसित किया जा सके.
डॉ ऋषि ने कहा कि अभी तक सैटेलाइट को ठंडा करने के लिए पंप का प्रयोग किया जाता है. यह काफी महंगा होता है. बड़ा भी होता है और परेशानी होती है. आइआइटी पटना के इस शोध से सैटेलाइट में हीट सींक में प्योर लिक्विड की जगह सर्फेक्टेंट डाला जायेगा. यह जीरो ग्रैविटी पर बेहतर काम करेगा. यह छोटे तापमान के अंतर के साथ उच्च गर्मी प्रवाह को भी नष्ट कर सकती है. अभी तक सैटेलाइट को ठंडा करने के लिए पृथ्वी पर निष्क्रिय दो-चरण हीट एक्सचेंजर्स और स्प्रेडर्स का इस्तेमाल किया जाता है.