बड़ी कंपनियों के शेयरों में तेजी से बाजार ने मनाया आजादी का जश्न, सेंसेक्स में 353 अंकों की उछाल
मुंबई : आईसीआईसीआई बैंक, रिलांयस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी और इन्फोसिस जैसी बड़ी कंपनियों के शेयरों में तेजी के दम पर बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स बुधवार को 353 अंक उछलकर बंद हुआ. एशिया के अन्य बाजारों में सकारात्मक रुख का भी घरेलू बाजार पर असर पड़ा. कारोबारियों के अनुसार, मुद्रास्फीति के नरम होने से भी बाजार […]
मुंबई : आईसीआईसीआई बैंक, रिलांयस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी और इन्फोसिस जैसी बड़ी कंपनियों के शेयरों में तेजी के दम पर बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स बुधवार को 353 अंक उछलकर बंद हुआ. एशिया के अन्य बाजारों में सकारात्मक रुख का भी घरेलू बाजार पर असर पड़ा. कारोबारियों के अनुसार, मुद्रास्फीति के नरम होने से भी बाजार की धारणा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा.
30 शेयरों वाला सेंसेक्स 353.37 अंक यानी 0.96 फीसदी बढ़त के साथ 37,311.53 अंक पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान यह ऊंचे में 37,473.61 अंक तथा नीचे में 37,000.77 अंक तक गया. इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 103.55 अंक यानी 0.95 फीसदी की बढ़त के साथ 11,029.40 अंक पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान यह 11,078.15 अंक से 10,935.60 अंक के दायरे में रहा.
सेंसेक्स के शेयरों में सर्वाधिक लाभ में रहने वालों में वेदांता, टाटा स्टील, येस बैंक, टेक महिंद्रा, हीरो मोटो कार्प, भारती एयरटेल, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बजाज फाइनेंस और इंडसइंड बैंक शामिल हैं. इनमें 4.83 फीसदी तक की तेजी आयी. हालांकि, सन फार्मा, ओएनजीसी, कोटक बैंक, टाटा मोटर्स, एशियन पेंट्स, एचसीएल टेक तथा एनटीपीसी में 4.58 फीसदी तक की गिरावट आयी.
विशेषज्ञों के अनुसार, एशिया के अन्य बाजारों में सकारात्मक रुख के अलावा खुदरा और थोक मुद्रास्फीति के नरम होने से निवेशकों की धारणा को बल मिला. महंगाई दर कम होने से रिजर्व बैंक के लिए अक्टूबर में नीतिगत दर में एक और कटौती की गुंजाइश बढ़ी है. सरकारी आंकड़े के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में मामूली घटकर 3.15 फीसदी पर, जबकि थोक महंगाई दर दो साल से भी अधिक समय के न्यूनतम स्तर 1.08 फीसदी पर आ गयी.
एशिया के अन्य बाजारों में हांगकांग का हैंग सेंग, दक्षिण कोरिया का कोस्पी और चीन का शंघाई कंपोजिट सूचकांक में तेजी रही. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चीन से आयातित इलेक्ट्रानिक वस्तुओं पर शुल्क लगाने में देरी की घोषणा से दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध को लेकर निवेशकों की चिंता कम हुई है. वहीं, यूरोप के प्रमुख शेयर बाजारों में शुरुआती कारोबार में गिरावट का रुख रहा. जर्मनी की अर्थव्यवस्था में जून तिमाही में 0.1 फीसदी की गिरावट से मंदी की आशंका बढ़ी है. इससे यूरोपीय बाजारों पर असर पड़ा.