नई दिल्ली : भारत की राजधानी दिल्ली में वाहनों से निकलने वाले जहरीले धुंए की वजह से आबोहवा काफी खराब हो चुकी हैं. वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में लगातार उतार-चढ़ाव होने की वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार शहर की हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने के पीछे पेट्रोल-डीजल से चलने वाले आईसीई इंजन वाहनों से निकलने वाले धुंए को जिम्मेदार मानती है. इस बीच, एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. वह यह कि दिल्ली में करीब 22 लाख से अधिक गाड़ियां बिना प्रदूषण प्रमाण पत्र (पीयूसी सर्टिफिकेट) के शहर की सड़कों पर दौड़ रही हैं. इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी संख्या में प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों में से कार्रवाई सिर्फ 2.4 लाख वाहन मालिकों के खिलाफ ही की जा सकी है.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की सड़कों पर जहरीला धुंआ उगलने वाली करीब 22 लाख गाड़ियों में से करीब 19 लाख से अधिक दोपहिया वाहन हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल के 15 नवंबर तक दिल्ली परिवहन विभाग ने केवल 2.4 लाख प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की है. बाकी के वाहन अब भी दिल्ली की सड़कों पर जहरीला धुंआ उगल रहे हैं.
दिल्ली में फिलहाल करीब 97 लाख फोर व्हीलर्स और दोपहिया वाहन रजिस्टर्ड हैं. इनमें करीब 27.8 लाख कारें शामिल हैं. इन कारों में 8.4 लाख सीएनजी और 2.5 लाख इलेक्ट्रिक कारें शामिल हैं. वहीं 69.8 लाख दोपहिया वाहन रजिस्टर्ड हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि प्रदूषण प्रमाण पत्र के मामले में सबसे ज्यादा दोपहिया वाहन चालक नियम का उल्लंघन कर रहे हैं.
Also Read: VIDEO : सिर्फ 30 सेंकेंड में 15 करोड़ की रोल्स रॉयस को ले उड़े चोर, चौंकिए मत! देखिए वीडियोदिल्ली परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, शहर में 19 लाख के करीब दोपहिया वाहनों के पास प्रदूषण प्रमाण पत्र नहीं हैं. वहीं, करीब तीन लाख फोर व्हीलर्स के मालिकों के पास प्रदूषण प्रमाण पत्र नहीं हैं. बिना प्रदूषण प्रमाण पत्र के वाहन चालकों के खिलाफ कम से कम 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
Also Read: हाईवे से कितनी दूरी पर मकान बनाने से आपकी फैमिली रहेगी सुरक्षित, जानें रोड निर्माण के जरूरी नियमवाहन मालिकों के पास प्रदूषण प्रमाण पत्र नहीं होने स्थिति में साल 2023 में पिछले तीन सालों के दौरान सबसे अधिक कार्रवाई की गई है. साल 2020 में एक लाख बिना प्रदूषण प्रमाण पत्र वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई, जबकि वर्ष 2021 में 1.5 लाख वाहनों पर जुर्माना लगाया गया. वहींख् वर्ष 2022 में दो लाख और इस साल में 15 नवंबर तक 2.4 लाख वाहनों के खिलाफ चालान काटे गए हैं.