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5G Benefits: मरीज के पहुंचने से पहले ही अस्पताल को जरूरी जानकारियां दे देगी 5जी कनेक्टेड एम्बुलेंस

मेडिकल एमरजेंसी की स्थिति में अस्पताल में मौजूद डॉक्टर मरीज के पहुंचने से पहले ही सभी जरूरी मेडिकल इंतजाम कर सकते हैं. भविष्य में मेडिकल इंडस्ट्री की शक्ल किस कदर बदल जाएगी इसका अंदाजा आप इस एम्बुलेंस को देख कर लगा सकते हैं.

  • रोबोटिक आर्म करेगा अल्ट्रासाउंड

  • मरीज के बेड तक दवा और खाना पहुंचाएगा रोबोट

5G Connected Ambulance: इंडियन मोबाइल कांग्रेस में रिलायंस जियो ने एक 5जी कनेक्टिड एम्बुलेंस पेश की है. यह ऐसी एम्बुलेंस है, जो मरीज की सारी अहम जानकारियां रियल टाइम में अस्पताल को डिजिटली पहुंचा देगी और वह भी मरीज के पहुंचने से पहले. मेडिकल एमरजेंसी की स्थिति में अस्पताल में मौजूद डॉक्टर मरीज के पहुंचने से पहले ही सभी जरूरी मेडिकल इंतजाम कर सकते हैं. भविष्य में मेडिकल इंडस्ट्री की शक्ल किस कदर बदल जाएगी इसका अंदाजा आप इस एम्बुलेंस को देख कर लगा सकते हैं.

Jio True 5G का कमाल

जियो पवेलियन में एक ऐसी रोबोटिक आर्म भी देखने को मिलेगी, जो एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड करने में माहिर है. दरअसल Jio True 5G के जरिये सैकड़ों मील दूर बैठा रेडियोलॉजिस्ट या सोनोग्राफर इसे आसानी से चला सकता है. यह रोबोटिक आर्म शहर में बैठे रेडियोलॉजिस्ट को ग्रामीण रोगियों से सीधे जोड़ देगी. एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड जैसी मूलभूत मेडिकल जरूरतों के लिए अब ग्रामीणों को शहर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे और रिपोर्ट भी घर बैठे ही मिल जाएगी.

Also Read: 5G Launch: मुकेश अंबानी बोले- दिसंबर 2023 तक पूरे देश में बिछा देंगे Jio 5G का जाल हेल्थकेयर ऑटोमेशन पर काम कर रही जियो 5जी

रिलायंस दीवाली पर 5जी सर्विस की शुरुआत कर रही है. अपने True 5G नेटवर्क की हाई स्पीड और लो-लेटेंसी के भरोसे, रिलायंस जियो रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाले कई टेक्निकल सॉल्युशन्स पर भी काम कर रही है. इन्हीं में से एक है जियो 5जी हेल्थकेयर ऑटोमेशन. कोविड महामारी के दौरान अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में कई फ्रंटलाइन वर्कर्स को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.

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क्लाउड बेस्ड 5जी कंट्रोल्ड रोबोट्स का इस्तेमाल

रिलायंस जियो ऐसे 5जी कंट्रोल्ड रोबोट्स की तकनीक पर काम कर रहा है, जो आइसोलेशन वार्ड्स के साथ साथ अन्य मरीजों को भी दवाइयां और खाना पहुंचाने का काम कर सकेंगे. क्लाउड बेस्ड 5जी कंट्रोल्ड रोबोट्स के इस्तेमाल के कारण गलती की गुंजाइश न के बराबर होगी. रोबोट फ्लीट मैनेजमेंट सिस्टम से इनका रखरखाव और सेनेटाइजेशन भी इंसानों की तुलना में आसान होगा और सबसे बड़ी बात, हजारों फ्रंटलाइन वर्कर्स और मरीजों की जान बचायी जा सकेगी.

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