Good News: चूहे के ब्रेन सेल से बना लिविंग कंप्यूटर, बड़े काम की चीज है यह

चूहों के 80 हजार जीवित मस्तिष्क कोशिकाओं का उपयोग करके बनाया गया यह कंप्यूटर प्रकाश और बिजली के पैटर्न की पहचान करने में सक्षम है. इस उपलब्धि से एक ऐसा रोबोट तैयार करने का रास्ता साफ हुआ है, जो जीवित मांसपेशियों के ऊतकों के इस्तेमाल से दिमाग के अंदर की बीमारियों का इलाज करने में सक्षम होगा.

By Rajeev Kumar | March 25, 2023 10:20 AM

New Technology: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) और चैट जीपीटी (ChatGPT) के इस जमाने में वैज्ञानिकों ने चूहे के ब्रेन सेल से लिविंग कंप्यूटर (Living Computer) बनाने में सफलता हासिल की है. चूहों के 80 हजार जीवित मस्तिष्क कोशिकाओं (Brain Cells) का उपयोग करके बनाया गया यह कंप्यूटर प्रकाश और बिजली के पैटर्न की पहचान करने में सक्षम है. इस उपलब्धि से एक ऐसा रोबोट तैयार करने का रास्ता साफ हुआ है, जो जीवित मांसपेशियों के ऊतकों के इस्तेमाल से दिमाग के अंदर की बीमारियों का इलाज करने में सक्षम होगा.

कैसे आया इसका ख्याल?

आज की तारीख में मानव मस्तिष्क से प्रेरित कृत्रिम रूप से बुद्धिमान एल्गोरिदम, जो न्यूरल नेटवर्क कहलाता है, का उपयोग चैटबॉट्स से लेकर भौतिकी के नये नियमों की खोज के लिए किया जा रहा है. आम तौर पर ये एल्गोरिदम पारंपरिक कंप्यूटरों पर चलते हैं, लेकिन इलिनोइस अर्बाना-शैंपेन विश्वविद्यालय में एंड्रयू डू और उनके सहयोगियों ने सोचा कि क्या वे इसके बजाय वास्तविक जीवित मस्तिष्क कोशिकाओं का उपयोग कर सकते हैं.

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ब्रेन ऑर्गनॉइड बनाने वाला प्रॉसेस

एंड्रयू डू की टीम ने एक डिश में रीप्रोग्राम्ड माउस स्टेम सेल से प्राप्त लगभग 80,000 न्यूरॉन्स को विकसित करके यह एक्सपेरिमेंट शुरू किया. यह प्रक्रिया मस्तिष्क के ऑर्गनॉइड बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रिया के जैसी थी, जिसे मिनी-ब्रेन के रूप में भी जाना जाता है. ये न्यूरॉन्स के वैसे समूह होते हैं, जिनका उपयोग सरल सूचना प्रॉसेसर के रूप में तो हुआ ही है, इसके साथ ही यह इंटेलीजेंस को स्टडी करने के लिए भी इस्तेमाल होता है. अंतर बस यह रहा कि लिविंग कंप्यूटर में न्यूरॉन्स एक सपाट, द्वि-आयामी परत में व्यवस्थित किये गए थे.

ऐसे हुआ एक्सपेरिमेंट और मिला रिजल्ट

‘न्यू साइंटिस्ट’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, लिविंग कंप्यूटर काे बनाने के लिए शोधकर्ताओं ने न्यूरॉन्स को एक ऑप्टिकल फाइबर के नीचे और इलेक्ट्रोड के ग्रिड पर रखा, ताकि न्यूरॉन्स को बिजली और प्रकाश, दोनों से रिएक्ट किया जा सके. इलेक्ट्रोड इस बात का भी पता लगा सकते हैं कि न्यूरॉन्स रिएक्शन में अपने विद्युत संकेतों काे कितना उत्पन्न करते हैं. यह सब एक हथेली के आकार के बॉक्स में रखा गया था, जिसे कोशिकाओं को जिंदा रखने के लिए एक इनक्यूबेटर में जगह दी गई थी.

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