दादा आजम के जमाने वाली ”विक्टोरिया” घोड़ागाड़ी का जादू फिर भी रहेगा बरकरार, जानें क्यों…?
मुंबई : पुरानी तकनीक वाली ‘विक्टोरिया’ घोड़ागाड़ी आज की तारीख में भले ही आउटडेटेड हो गयी हो और यह दादा आजम के जमाने की सवारी कही जाती हो, लेकिन गाड़ी के शौकीनों में आज भी इसका जादू बरकरार है. यही वजह है कि महाराष्ट्र सरकार ‘विक्टोरिया’ घोड़ागाड़ी के मालिकों और संचालकों का पुनर्वास करेगी. इस […]
मुंबई : पुरानी तकनीक वाली ‘विक्टोरिया’ घोड़ागाड़ी आज की तारीख में भले ही आउटडेटेड हो गयी हो और यह दादा आजम के जमाने की सवारी कही जाती हो, लेकिन गाड़ी के शौकीनों में आज भी इसका जादू बरकरार है. यही वजह है कि महाराष्ट्र सरकार ‘विक्टोरिया’ घोड़ागाड़ी के मालिकों और संचालकों का पुनर्वास करेगी. इस काम पर प्रतिबंध लगने के बाद उनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं रह गया था. सरकार उन्हें अपनी आजीविका चलाने के लिए व्यापार करने का लाइसेंस और एक लाख रुपये मूल पूंजी के लिए देगी या फिर एक बार में तीन लाख रुपये देकर मामले का निबटारा करेगी. राज्य मंत्रिमंडल ने यहां एक बैठक में पुनर्वास योजना को मंजूरी दी है.
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महाराष्ट्र सरकार की ओर से यह फैसला अदालत के उस आदेश के बाद लिया गया है, जिसमें अदालत की ओर से कहा गया था कि औपनिवेशिक काल से यहां की सड़कों पर दौड़ने वाली बुग्गियों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाये और उन पर निर्भर परिवारों का पुनर्वास किया जाये. ये बुग्गियां पर्यटकों को नरीमन प्वॉइंट जैसे स्थलों पर सैर करवाती थीं. पशु अधिकार समूहों का आरोप था कि इन बुग्गियों में लगने वाले घोड़ों के साथ बुरा बर्ताव किया जाता है.
एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रिमंडल के इस फैसले के दायरे में विक्टोरिया के 91 मालिक और 130 चालक आयेंगे. विक्टोरिया मालिकों का दावा है कि इससे रोजगार के लिए लगभग 800 परिवार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हैं. जून, 2015 में बंबई हाईकोर्ट ने वृहन्नमुंबई नगर पालिका को इन बुग्गियों पर रोक लगाने का निर्देश दिया था. अदालत ने इन्हें ‘गैर-कानूनी और पशुओं के साथ कू्ररता रोकथाम अधिनियम का उल्लंघन’ बताया था. यह निर्देश गैर-सरकारी संगठन ‘एनिमल्स एंड बर्ड्स चेरिटेबल ट्रस्ट’ की जनहित याचिका पर दिया गया था.