Fake Oximeter App, Coronavirus Test, Coronavirus: कोरोनावायरस से संक्रमण के इस मुश्किल दौर में जहां एक तरफ सरकारी और गैर सरकारी संस्थान लोगों को इस खतरे से बचाने की कोशिश कर रही हैं, वहीं साइबर अपराधी इसी संकट को अपना हथियार बनाकर लोगों को ठगने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं.
इन हाइटेक ठगों का शिकार वे लोग बन रहे हैं, जो बिना सोचे-समझे हर वक्त अपने स्मार्टफोन पर कोरोना वायरस से बचने का तरीका तलाशते रहते हैं. कभी कोई संदिग्ध ऐप डाउनलोड कर, तो कभी कोई अनजाना लिंक क्लिक कर लोग लगातार ठगी के जाल में फंसते जा रहे हैं.
फेक ऑक्सीमीटर ऐप क्या है?
इसी कड़ी में ऑनलाइन ठगी का ताजा हथियार बना है फेक ऑक्सीमीटर ऐप. दरअसल, कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज के खून में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है. जिसे समय समय पर जांचना जरूरी हो जाता है. और यहां जरूरत पड़ती है ऑक्सीमीटर की.
आपको बता दें कि पल्स ऑक्सीमीटर एक उपकरण है, जिससे खून में ऑक्सीजन की मात्रा नापी जाती है. कोरोना वायरस के मरीजों में अगर ऑक्सीजन की मात्रा 90% या उससे कम होती है तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी हो जाता है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पल्स ऑक्सीमीटर को सुरक्षा कवच बताया है. उन्होंने दावा किया कि इसकी मदद से दिल्ली में कोविड-19 से होने वाली मौतों को कम किया जा सका. दिल्ली सरकार ने होम आइसोलेशन में रहने वाले बिना लक्षण या कम लक्षण वाले मरीजों को ऑक्सीमीटर दिये हैं.
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कैसे होती है ठगी?
ऑक्सीमीटर की इसी जरूरत का फायदा उठाकर साइबर ठग लोगों को भ्रमित करते हैं. अपने जाल में फंसाने के लिए वे लोगों को ऑक्सीमीटर ऐप के फर्जी लिंक भेजते हैं. दावा किया जाता है कि ये ऐप्स आपके फोन के कैमरा, लाइट और फिंगरप्रिंट सेंसर के जरिये आपके शरीर में मौजूद ऑक्सीजन के स्तर का पता लगा सकते हैं.
इन फर्जी ऐप्स के झांसे में पड़कर अगर आपने इन्हें डाउनलोड कर लिया, तो अपना काम करने के लिए ये आपके फोन के कैमरा, फोटो गैलरी, एसएमसएस बॉक्स का ऐक्सेस मांगेंगे. अगर आपने ऐसा किया, तो अनजाने में आप अपने फोन का सारा संवेदनशील डेटा उनके सामने रख दिया है. और आपके फोन में घुसने के लिए तो आपने अपना फिंगरप्रिंट डीटेल तो दे ही दिया है.
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सावधानी है जरूरी
बताते चलें कि हाल ही में सोशल मीडिया पर कोविडलॉक नाम का एक रैनसमवेयर फैलाया जा रहा था. इसका दावा था कि यह कोरोनावायरस को ट्रैक करने वाला ऐप है. इसके बाद ‘कोरोना सेफ्टी मास्क’ खरीदने वाला एक लिंक शेयर किया जाने लगा. एंड्रॉयड डिवाइसेज पर आया यह नया खतरा, आपकी पूरी कॉन्टैक्ट लिस्ट को एक मेसेज भेजता है जिसमें ‘कोरोना सेफ्टी मास्क’ खरीदने का लिंक रहता है. यह एक वायरस है, जो दूसरी डिवाइसेज में SMS के जरिये जाता है और यूजर्स को फेस मास्क के जरिये लालच देता है.
इससे बचने का बस एक ही तरीका है कि किसी भी ऐसे लिंक पर क्लिक न करें, जिसके सही सोर्स का पता न हो. साथ ही, कोई भी ऐप इंस्टॉल करने से पहले उसके डेवलपर, रेटिंग, रिव्यूज, बग्स और कुल डाउनलोड्स की संख्या का पता जरूर लगा लें. प्रमाणिक और विश्वसनीय ऐप की जानकारी इंटरनेट पर जरूर मिल जाएगी, और अगर न मिले तो समझ लीजिए कि वह सही नहीं है.