Anand Mahindra: मार्च का महीना समाप्त होने से पहले ही दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के शहरों और गांवों में जलसंकट का असर दिखाई देने लगा है. अभी हाल ही में बेंगलुरु में जलसंकट पैदा हो गया. हालांकि, पिछले साल संभावनाओं और आशंकाओं के बीच देश में औसतन बारिश ठीक-ठाक ही रही. फिर भी भूजल स्तर में सुधार होता दिखाई नहीं दे रहा है और न ही जलाशयों में बारिश का पानी जमा हो पा रहा है. इस बीच, ऑटोमोबाइल सेक्टर एक अच्छी खबर यह भी है कि भारत की दिग्गज दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा तेलंगाना के जहीराबाद में जलसंकट को दूर करने के साथ ही जलाशयों में जलसंचय और जलसंरक्षण को लेकर पिछले 20 बरस से काम कर रही है. इसका बेहतर नतीजा भी सामने आने लगा है. इस उपलब्धि को लेकर कंपनी ने एक शॉर्ट फिल्म भी बनाई है, जो सोशल मीडिया पर वायरल है. महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा खुद सोशल मीडिया पर पिछले कई दिनों से चर्चा भी कर रहे हैं. आइए, जानते हैं कि महिंद्रा एंड महिंद्रा तेलंगाना के मेदक जिले के जहीराबाद के जलसंकट को दूर करने और जलाशयों में जलसंचय और जलसंरक्षण को लेकर कैसे काम कर रही है.
20 से जहीराबाद में काम कर रही महिंद्रा
महिंद्रा एंड महिंद्रा की वेबसाइट महिंद्रा राइज डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी तेलंगाना के सूखा प्रभावित क्षेत्र जहीराबाद में सरकार के समर्थन से पिछले 20 साल से जलसंकट दूर करने के प्रयास में जुटी है. यह क्षेत्र बरसों से सूखे जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है. वाहन निर्माता कंपनी इस क्षेत्र में न केवल जलसंकट को दूर करने के प्रयास में ही जुटी है, बल्कि चैक डैम आदि बनवाकर और पहले से उपलब्ध प्राकृतिक जलाशयों में वर्षा जलसंचयन और जलसंरक्षण को लेकर पहल भी कर रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि उसकी इस पहल का सकारात्मक प्रभाव भी दिखाई देने लगा है.
बेटियों की शादी नहीं करना चाहते थे लोग
रिपोर्ट में कहा गया है कि सूखा प्रभावित जहीराबाद में जलसंकट की स्थिति थी कि पानी की कमी की वजह से कोई भी माता-पिता अपनी बेटी की शादी इस इलाके में करना नहीं चाहते थे. आज स्थिति इतनी बदल गई है कि इस पहले जहां इस क्षेत्र में भूजल स्तर 137 मीटर नीचे तक पहुंच गया था, अब 18 मीटर की गहराई में ही लोगों को पीने लायक पानी मिल जाता है.
महिंद्रा ने ऐसे की पहल की शुरुआत
जहीराबाद में जलसंकट को देखते हुए महिंद्रा एंड महिंद्रा ने सबसे पहले वर्षाजल संचयन पर काम करना शुरू किया, क्योंकि कंपनी को प्रोडक्शन प्लांट चलाने के लिए जल की जरूरत थी. इसके साथ ही, उसने प्राकृतिक जलाशयों में जलसंचय करने के इंतजाम किए. मॉनसून के दौरान इस इलाके में औसतन वार्षिक वर्षा 33 फीसदी ही होती थी. यानी पूरे साल में कुल मिलाकर 30 मिलीमीटर ही बारिश होती थी, जो महिंद्रा के लिए बड़ी चुनौती थी. जलसंकट को दूर करने के लिए महिंद्रा ग्रुप ने स्थानीय लोगों के सहयोग और उनकी लोकमान्यताओं के आधार पर काम करना शुरू किया.
वाटरशेड विकास परियोजना की शुरुआत की
सूखाग्रस्त जहीराबाद से जलसंकट को दूर भगाने के लिए आनंद महिंद्रा के महिंद्रा ग्रुप ने इस इलाके में सीआईआई-आईटीसी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के सहयोग से वाटरशेड परियोजना की शुरुआत की, जिसका मूल्यांकन आईबीबीआई (इंडियन बिजनेस एंड बायोडायवर्सिटी इनशिएटिव) किया गया. इस मूल्यांकन के आधार पर जैव विविधता और कृषि उत्पाद को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए नेचुरल कैपिटल एक्शन प्लान (एनसीएपी) तैयार की गई. लेकिन, आईबीबीआई के मूल्यांकन में एक सबसे बड़ी अड़चन निकलकर यह सामने आई कि ऑटोमोटिव क्षेत्र, जैव विविधता और इको सिस्टम सर्विस का संचालन करना थोड़ा जटिल था. ग्रीनबेल्ट एरिया में आक्रामक प्रजातियों की वृद्धि और ग्रीनबेल्ट के मोनोकल्चर ने इस जटिलता को बढ़ा दिया. इसका नतीजा यह निकला कि इससे वाहन उत्पादन के लिए लगाए प्रोडक्शन प्लांट के लिए कारोबारी जोखित पैदा कर दिया.
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भूजल स्तर बढ़ाने के लिए किए गए उपाय
फिर भी महिंद्रा ग्रुप ने कदम पीछे नहीं हटाया और इस सूखाग्रस्त क्षेत्र के जलसंकट को दूर करने के लिए उसने भूजल स्तर को बढ़ाने पर काम करना शुरू कर दिया. इसके लिए उसने जलाशयों के जरिए ग्राउंडवाटर रिचार्ज सिस्टम (आरडब्ल्यूएचएस) यानी भूजल पुनर्भरण की प्रक्रिया की शुरुआत की. इसके साथ ही, गंदे-भूरे पानी का ट्रीटमेंट करके इस्तेमाल करने के लायक बनाया जाने लगा. इसके अलावा, भूजल संसाधनों का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल बढ़ाया गया. इतना ही नहीं, इस सूखाग्रस्त क्षेत्र में एनसीएपी के तहत चैक डैम, रॉक फिल डैम, फील्ड बंडिंग और बीबीएफ भूमि प्रबंधन की पहल शुरू की गई. नए सिरे से जलाशयों के निर्माण और संवर्द्धन के जरिए आज महिंद्रा एंड महिंद्रा ने जहीराबाद क्षेत्र में जल स्तर को 137 मीटर के निचले स्तर से बढ़ाकर 18 मीटर के हाई लेवल तक पहुंचा दिया.
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