क्रैश टेस्ट के लिए नहीं रहना पड़ेगा जीएनसीएपी का मोहताज! Bharat NCAP शुरू, मारुति-टाटा और हुंडई ने भेजीं कारें

देश में ही कारों के क्रैश टेस्ट के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अगस्त 2023 में भारत एनसीएपी के नाम से स्वदेशी स्टार-रेटिंग सिस्टम की शुरुआत की थी. इसके तहत गाड़ियों को वन और फाइव स्टर के बीच रेटिंग मिलेंगी.

By KumarVishwat Sen | December 15, 2023 5:30 PM

Bharat NCAP: भारत की वाहन निर्माता कंपनियों के लिए एक खुशखबरी है और वह यह कि अब उन्हें अपनी गाड़ियों का क्रैश टेस्ट कराने या फिर सेफ्टी रेटिंग हासिल करने के लिए ग्लोबल एनसीएपी या फिर अन्य देशों की एनसीएपी पर मोहताज नहीं रहना पड़ेगा. 15 दिसंबर 2023 से देश में ही भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (भारत एनसीएपी) की शुरुआत हो गई है. अब कारों समेत अन्य यात्री वाहनों की क्रैश टेस्टिंग अपने ही देश में हो जाएगा.

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत एनसीएपी के तहत क्रैश टेस्ट कराने के लिए कार निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स, हुंडई मोटर इंडिया, मारुति-सुजुकी इंडिया और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने अपनी-अपनी पहली कारों को भेजा है. उम्मीद की जा रही है कि भारत एनसीएपी की शुरुआत के पहले दिन कम से कम 15 कारें क्रैश टेस्ट के लिए भेजी जाएंगी. ऑटोएक्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत एनसीएपी क्रैश टेस्ट के दौरान देखी जाने वाली कुछ कारों में हुंडई की एक्सटर और क्रेटा, मारुति सुजुकी की बलेनो, ब्रेजा और ग्रैंड विटारा, किआ की सेल्टोस और सोनेट और टाटा की पंच शामिल हैं. आइए, जानते हैं कि भारत एनसीएपी क्या है और कारों के क्रैश टेस्ट में इसकी भूमिका क्या होगी?

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भारत एनसीएपी

देश में ही कारों के क्रैश टेस्ट के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अगस्त 2023 में भारत एनसीएपी के नाम से स्वदेशी स्टार-रेटिंग सिस्टम की शुरुआत की थी. इसके तहत गाड़ियों को वन और फाइव स्टर के बीच रेटिंग मिलेंगी. इस टेस्ट ये यह तय हो सकेगा कि दुर्घटना या सामने से किसी दूसरी गाड़ी से टक्कर होने के बाद गाड़ियों के साथ उसमें बैठने वाले पैसेंजर कितने सुरक्षित हैं. एनसीएपी कार क्रैश टेस्ट शुरू करने के बाद अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया और जापान के बाद न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम लागू करने वाला दुनिया पांचवां देश बन गया है. हालांकि, भारत एनसीएपी सिस्टम स्वैच्छिक होगा. ग्राहक इन रेटिंग्स की जांच कर सकते हैं और उसके अनुसार कार खरीद सकते हैं. भारत एनसीएपी की शुरुआत से पहले देश में बनने वाली कारों को ग्लोबल एनसीएपी के तहत क्रैश टेस्ट से गुजरना पड़ रहा था.

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भारत एनसीएपी बनाम जीएनसीएपी

भारत एनसीएपी हो या फिर जीएनसीएपी दोनों ग्लोबल क्रैश टेस्ट प्रोटोकॉल हैं. भारत एनसीएपी टेस्टों में ऑफसेट डिफॉर्मेबल बैरियर (ओडीबी) फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट, साइड इम्पैक्ट टेस्ट और पोल साइड इम्पैक्ट टेस्ट शामिल होंगे. जीएनसीएपी,एक तरह से एक समान टेस्ट प्रक्रिया का पालन करता है, लेकिन इसमें संयुक्त राष्ट्र विनियमन संख्या 127 या वैश्विक तकनीकी विनियमन संख्या 9 के अनुरूप सभी के लिए पैदल यात्री सुरक्षा प्रणाली (पीपीएस) और सीटबेल्ट अनुस्मारक जैसी अन्य सुविधाओं की भी आवश्यकता होती है.

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क्रैश टेस्ट का क्या है मानक

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जीएनसीएपी की टेस्ट स्पीड 64 किमी प्रति घंटे है, जो 50 किमी प्रति घंटे की दुर्घटना का अनुकरण करती है. जब फ्रंटल क्रैश टेस्ट स्पीड की बात आती है, तो भारत एनसीएपी भी इसी तरह का अनुसरण करता है. हालांकि, जब साइड और पोल-साइड प्रभाव टेस्ट की बात आती है, तो इसमें भिन्नताएं होती हैं, जो क्रमशः 50 किमी प्रति घंटे और 29 किमी प्रति घंटे पर निर्धारित होती हैं.

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