Social Media की ताकत का लोहा मान रहे ब्रांड्स भी, Influencers के साथ काम करने को दे रहे तरजीह
सोशल मीडिया की उभरती ताकत का लोहा अब ब्रांड्स भी मानने लगे हैं. यही वजह है कि डिजिटल मंचों पर कई बड़ी कंपनियों और फिल्मी अभिनेताओं से भी अधिक लोकप्रियता रखने वाले डिजिटल इन्फ्लुएंसर्स के साथ काम करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
Social Media Influencers: सोशल मीडिया की उभरती ताकत का लोहा अब ब्रांड्स भी मानने लगे हैं. यही वजह है कि डिजिटल मंचों पर कई बड़ी कंपनियों और फिल्मी अभिनेताओं से भी अधिक लोकप्रियता रखने वाले डिजिटल प्रभावशाली लोगों (इन्फ्लुएंसर्स) के साथ काम करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
अपनी किताब ‘बूमिंग डिजिटल स्टार्स: इंडियाज ‘क्रिएटर इकॉनमी’ में संकलित 11 प्रेरक कहानियों’ में ब्रांड विशेषज्ञ हर्ष पमनानी और मनीष पांडे ने डिजिटल मीडिया क्षेत्र में एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था का जिक्र किया है. ‘क्रिएटर’ अर्थव्यवस्था भी एक तरह व्यवसाय होता है, जिसमें सोशल मीडिया मंचों पर लोग ब्लॉग, लेखन, कॉमेडी, संगीत और अपनी अलग-अलग प्रतिभाओं के जरिये ऑनलाइन सामग्री (कंटेंट) बनाते हैं और उससे कमाई करते हैं.
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विषेशज्ञों के अनुसार, इस अर्थव्यवस्था का आकार बहुत बड़ा है और इसमें बहुत अधिक अवसर मौजूद हैं. पेंसिल सेलेक्ट द्वारा प्रकाशित इस किताब में इस तरह के 11 डिजिटल क्रिएटर्स की कहानी को बताया गया है. इसमें भुवन बाम, आशीष चंचलानी, कविता सिंह, निकुंज लोटिया, प्राजक्ता कोली, रणवीर इलाहाबादिया, मदन गोरी, टीम नाच, यशराज मुखाटे, अभि एंड नियू और उज्ज्वल चौरसिया जैसी सोशल मीडिया हस्तियां शामिल हैं.
लेखकों का मानना है कि इन डिजिटल मीडिया पेशेवरों ने अपने जुनून या प्रतिभा को व्यवसायों में बदलकर सफलता के अनूठे रास्ते बनाये हैं. किताब कहती है, डिजिटल सामग्री कई बार बेची जा सकती है, जिससे क्रिएटर समय और प्रयास को बढ़ाये बिना अपनी आय बढ़ा सकते हैं. बहुत से लोग अंशकालिक रूप से अपने जुनून का पीछा करते हैं, इसलिए क्रिएटर अर्थव्यवस्था से संबंधित आंकड़ों पर अनुमान लगाना आसान नहीं है. लेखकों ने लिखा है कि देश के शीर्ष डिजिटल इन्फ्लुएंसर्स की लोकप्रियता फिल्मी सितारों, कॉर्पोरेट कंपनियों और कई स्टार्टअप से अभी अधिक है. यह एक बड़ा कारण है जिसकी वजह से ब्रांड डिजिटल इन्फ्लुएंसर्स के साथ काम करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. (इनपुट : भाषा)