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Budget 2024: सरकार से ऑटो इंडस्ट्री की उम्मीदें, Fame-3 समेत इन मुद्दों पर निगाहें

बजट 2024 से भारतीय ऑटो इंडस्ट्री को काफी उम्मीदें हैं, आज हम ऑटो इंडस्ट्री से जुड़ी उन मांगों पर नजर डालेंगे जो भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती हैं.

24 जुलाई को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का पूर्ण बजट पेश करेंगी. आने वाले 2024 के पूर्ण बजट पर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री आंखे बिछाए बैठा है. ऑटो उद्योग ऐसे कुछ कदमों की मांग कर रहा है जो देश में इस क्षेत्र के विकास को गति प्रदान कर सकें। इसके अलावा, भारतीय ऑटो उद्योग सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कुछ उपायों की मांग कर रहा है, जो इस क्षेत्र को राहत पहुंचा सकें। आइए एक नजर डालते हैं आगामी बजट 2024 में भारतीय ऑटो उद्योग की मांगों और अपेक्षाओं पर.

Fame-3

भारत सरकार के प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन प्रोत्साहन कार्यक्रम फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक वाहिकल्स (फेम) को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है, जिसने सरकार को योजना के दूसरे चरण को लाने के लिए प्रेरित किया. अब फेम अपने तीसरे संस्करण के लिए लगभग ₹10,000 करोड़ के महत्वपूर्ण परिव्यय के साथ तैयार है. 24 जुलाई को पेश होने वाले बजट 2024 में फेम 3 और इसके विवरणों की घोषणा की उम्मीद है, जो अगले कुछ वर्षों में देश में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए सरकार की योजना को रेखांकित करेगा. फेम 3 योजना के फेम 2 के नक्शेकदम पर चलने की उम्मीद है, जो मार्च 2024 में समाप्त हो गई थी.

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हाइब्रिड वाहनों के लिए कर में रियायत

हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से भारत में कर में रियायत और प्रोत्साहन का लाभ मिलता है, लेकिन हाइब्रिड वाहनों को यह छूट नहीं मिल पाती है, जबकि ये शुद्ध ICE मॉडलों की तुलना में कम उत्सर्जन वाले वाहन हैं. कई वाहन निर्माता जिनकी हाइब्रिड वाहन सेगमेंट में मजबूत उपस्थिति है, वे पिछले कई महीनों से इन विद्युतीकृत वाहनों के लिए कर की दर में कमी की वकालत कर रहे हैं. उम्मीद है कि सरकार बजट 2024 के दौरान इस चिंता को दूर करेगी.

पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी से राहत

पिछले कुछ सालों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगभग ₹100 प्रति लीटर के आसपास बनी हुई हैं, जो देश में अब तक की सबसे ऊंची दर है. इस ऊंची कीमत ने वाहन चालकों, वाहन उद्योग और कुल मिलाकर पूरी अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव डाला है. विभिन्न हितधारकों की ओर से यह मांग उठ रही है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए, जिससे ईंधन की लागत कम हो सकती है और आम लोगों और उद्योग दोनों को लिए राहत मिल सकती है. उम्मीद है कि सरकार इस मुद्दे को केंद्रीय बजट 2024 में संबोधित करेगी.

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बढ़ा हुआ बुनियादी ढांचा खर्च

पिछले कुछ वर्षों में सड़क के बुनियादी ढांचे में भारी निवेश देखा गया है. तेजी से सुधरते सड़क बुनियादी ढांचे ने ऑटोमोबाइल उद्योग और लॉजिसटिक चेन के विकास को गति दी है. केंद्रीय बजट 2024 में भी, सरकार इस गति को बनाए रखने और बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने की घोषणा कर सकती है.

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