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ADAS तकनीक लगी कार से परिवार को सुरक्षा और ‘खतरे’ को बाय-बाय

ADAS Technology: कार आदमी के सफर को आसान बनाती है, लेकिन तकनीक सफर को सुरक्षित बनाती है. सेफ्टी तकनीकों से लैस कारों से सफर को हमेशा सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कौन सी तकनीक कैसे काम करती है, यह जानना भी बेहद जरूरी है.

ADAS Technology: क्या आप अपने परिवार के लिए कोई अच्छी और सस्ती सी कार खरीदने का प्लान बना रहे हैं. अगर बना रहे हैं, तो बनाइए. आजकल कार प्राय: हर परिवार की जरूरत है, लेकिन इसे खरीदते समय किस चीज पर अधिक ध्यान देना चाहिए, ‘कीमत या सुरक्षा’? इस सवाल का सही जवाब सुरक्षा ही होना चाहिए. इसका कारण यह है कि पैसा तो आता-जाता रहता है, लेकिन कार से कोई हादसा होने के बाद जो ‘जाता’ है, वह लौटकर नहीं आता. यह बात दीगर है कि उसकी ‘याद’ हमेशा आती रहती है और तब दिल में कसक उठती है कि काश, हम कोई अच्छे सेफ्टी फीचर से लैस कार खरीदते. बाजार में कई बेहतरीन सेफ्टी फीचर से लैस कारें आती हैं और इन्हीं सेफ्टी फीचर्स में एडीएएस (एडवांस्ड ड्राइविंग असिस्टेंस सिस्टम) तकनीक भी शामिल है. इससे कार में सवार तमाम लोगों को सुरक्षा मिलने के साथ ही ‘खतरा’ भी कोसों दूर से ही ‘बाय-बाय’ कहता हुआ नजर आता है. आइए, जानते हैं कि एडीएएस तकनीक क्या है और इस तकनीक से आपके परिवार और कार को सुरक्षा कैसे मिलती है?

ADAS Technology तकनीक क्या है?

कार खरीदने से पहले आपको अपने परिवार और गाड़ी की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल होने वाली एडीएएस तकनीक को जानना बेहद जरूरी है. दरअसल, एडवांस्ड ड्राइविंग असिस्टेंस सिस्टम (एडीएएस) वह तकनीक है, जो गाड़ी चलाते समय ड्राइवरों की गलती से होने वाले हादसों को कम करने में काफी हद तक मदद करती है. यह रडार आधारित तकनीक है. इसे ऑटोनॉमस तकनीक के विकास की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है.

कैसे काम करती है ADAS Technology

कार में लगी एडीएएस तकनीक मल्टी विजन बेस्ड एल्गोरिदम पर काम करती है, जो आसपास के माहौल और हालात को भांप लेता है. यह मूल रूप से सेंसर और कैमरा बेस्ड तकनीक है. यह ड्राइवर और वाहन को ड्राइविंग स्थिति की जानकारी देती है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह तकनीक सड़की स्थिति, सड़क संकेतक, पैदल यात्री, सड़क पर वाहनों की स्थिति, बैरियर्स और स्पीड ब्रेकर्स की जानकारी पहले ही दे देती है. इसमें 360 डिग्री का लगा कैमरा सेंसर की मदद से कार के आसपास की स्थिति को कैप्चर करता है और सिस्टम में दिए गए सॉफ्टवेयर तक भेजता है.

इसके बाद वह सॉफ्टवेयर कैमरे की तस्वीरों को पल भर में विश्लेषण करता है और फिर क्षण भर में सेफ्टी फीचर्स एक्टिव हो जाते हैं. तब ड्राइवर को जरूरी संकेतों के माध्यम से दी जाती है. सरल शब्दों में समझें, तो इस सिस्टम में सेंसर तकनीक लगी होती है, जो ड्राइवर को जरूरी जानकारी प्रदान करता है. इस तकनीक से जानकारी मिलते ही ड्राइवर खतरे को भांपकर सचेत हो जाता है और किसी प्रकार की अनहोनी से कार और सवार को बचा लेता है.

ADAS Technology के लेवल और

आपको यह भी बता दें कि कारों में लगाया जाने वाला एडीएएस तकनीक में कई लेवल और फीचर्स शामिल होते हैं. अगर इसके लेवल की बात करें, तो इस की संख्या पांच है. इसमें लेवल ओ से लेकर लेवल फाइव तक शामिल हैं और हर लेवल का अपना-अपना काम है. इसका ‘लेवल ओ’ सबसे निचला स्तर है, जो सभी कारों में मिल जाता है. वहीं, ‘लेवल-5’ ड्राइवरलेस कार या सेल्फ ड्राइविंग लेवल वाहनों में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है.

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ADAS Technology के फीचर्स

जहां तक इस तकनीक के तहत कारों में मिलने वाले फीचर्स की बात है, तो यह एडीएएस के लेवल पर निर्भर करता है. फीचर्स के तौर पर इस तकनीक में आम तौर पर सिंपल बैकअप कैमरे और ब्लाइंड-स्पॉट अलर्ट सेंसर, लेन डिपार्चर अलर्ट सिस्टम, एडॉप्टिव क्रूज क्ंट्रोल, सेल्फ-पार्किंग, हाई बीम असिस्ट, ट्रैफिक साइन रिकॉग्नाइजेशन, ऑटोमेटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग और ड्राइवर ड्राउजिनेस सिस्टम दिए जाते हैं.

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