जर्मन कार निर्माता कंपनी Volkswagen भारत में अपने कारोबार का विस्तार करने के लिए भारतीय कार निर्माताओं के साथ गठजोड़ करने की राह देख रही है. स्कोडा ऑटो और पोर्शे, ऑडी और लेम्बोर्गिनी जैसी लग्जरी कार ब्रांड्स की मालिक ये कंपनी अब भारत में पैसेंजर कारों के उत्पादन के लिए दूसरी कंपनियों के साथ साझेदारी करने की बातचीत कर रही है.
भारत में फिलहाल, Volkswagen Taigun एसयूवी और Virtus सेडान को दो मुख्य मॉडल के रूप में बेचती है, साथ ही Tiguan एसयूवी भी बेची जाती है. कंपनी जल्द ही ID.4 इलेक्ट्रिक एसयूवी को भारत में अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार के रूप में लॉन्च करने की भी योजना बना रही है.
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Volkswagen Group के लिए भारत एक छोटा बाजार है. कंपनी ने माना है कि भारतीय ऑटो उद्योग में पैसा कमाना मुश्किल है. पिछले साल पूरे ग्रुप में वोक्सवैगन की कुल डिलीवरी में भारत का योगदान सिर्फ 1.01 लाख यूनिट के साथ एक प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा था. हालांकि वोक्सवैगन पैसेंजर कार्स की बिक्री में 2023 में आठ प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और अब कंपनी 2024 में 15 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि का लक्ष्य रख रही है. टाइगुन और विरटस भारत में कंपनी के लिए सबसे ज्यादा बिकने वाले दो मॉडल बने हुए हैं.
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Volkswagen Group के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) आर्नो एंटलिट्ज़ ने कहा कि आने वाले दिनों में भारत ब्रांड के लिए बड़ा बाजार बनने की क्षमता रखता है. “हम काफी अच्छी चर्चा कर रहे हैं. यह बहुत ही ठोस है. मुझे लगता है कि भारत की बाजार के रूप में क्षमता को कम नहीं आंकना चाहिए… और अमेरिका और चीन के बीच नियामकीय अनिश्चितता के मामले में भी. मैं भारत के बारे में काफी सकारात्मक हूं,” एंटलिट्ज़ ने कहा.
वर्तमान में Volkswagen भारत में दो कारखानों से अपने वाहनों का निर्माण करती है. ये संयंत्र महाराष्ट्र के औरंगाबाद और पुणे में स्थित हैं. दोनों संयंत्रों की वार्षिक क्षमता लगभग दो लाख वाहनों की है. हाल ही में वोक्सवैगन ने महिंद्रा एंड महिंद्रा के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अपने ओपन प्लेटफॉर्म के प्रमुख विद्युत घटकों के उपयोग पर एक समझौता किया है.
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