Car Safety Features: कार को ये 5 फीचर्स बनाते हैं सेफ, आपकी गाड़ी में हैं क्या?

Car Safety Features: वैश्विक स्तर पर ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (ग्लोबल एनसीएपी) और देश में भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (भारत एनसीएपी) में क्रैश टेस्ट के जरिए कारों की सेफ्टी को जांचा-परखा जाता है. इस टेस्ट में कार की बॉडी की मजबूती के साथ ही उसमें सवारियों की सुरक्षा के लिए दिए गए फीचर्स की भी जांच की जाती है.

By KumarVishwat Sen | April 6, 2024 11:33 AM

Car Safety Features: कार सफर को आसान बना देती है, लेकिन सफर के लिए कार सुरक्षित भी होनी चाहिए. सफर के दौरान बाहरी कारक हादसे का कारण तो बनते ही हैं, लेकिन कार के अंदर उपकरणों की कमी भी दुर्घटना को न्योता दे देती है. इसीलिए, किसी भी कार को बाजार में आने से पहले सेफ्टी के लिहाज से कार क्रैश टेस्ट किया जाता है. वैश्विक स्तर पर ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (ग्लोबल एनसीएपी) और देश में भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (भारत एनसीएपी) में क्रैश टेस्ट के जरिए कारों की सेफ्टी को जांचा-परखा जाता है. इस टेस्ट में कार की बॉडी की मजबूती के साथ ही उसमें सवारियों की सुरक्षा के लिए दिए गए फीचर्स की भी जांच की जाती है. सभी मानदंडों पर खरा उतरने के बाद ही किसी कार को फाइव स्टार रेटिंग दी जाती है. जो कारें सेफ्टी के लिहाज से सबसे अधिक सुरक्षित होती हैं, उनमें इन पांच महत्वपूर्ण फीचर्स का होना बेहद जरूरी है. इन पांच फीचर्स की बदौलत आपकी कार सेफ मानी जाती है. आइए, जानते हैं कि वे कौन-कौन से फीचर्स हैं, जो आपकी कार को सेफ बनाती हैं. इसके बाद आप पक्का हो जाएंगे कि आपकी कार में वे फीचर्स हैं या नहीं?

एयरबैग

एयरबैग कारों को सेफ बनाने वाले फीचर्स में सबसे महत्वपूर्ण है. इसे हर कार में होना आवश्यक माना जाता है. यही वह फीचर है, जो दुर्घटना के दौरान चालक या कार में बैठी सवारी के ऊपरी शरीर या वाहन के अंदरूनी हिस्से से सिर के टकराने से बचाता है. कार में कम से कम डुअल फ्रंट एयरबैग और साइड तथा पर्दा समेत कम से कम 6 एयरबैग होना चाहिए. इसके साथ यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि एयरबैग को सीटबेल्ट के साथ काम करने के लिए डिजाइन किया गया है या नहीं?

ईबीडी समेत एबीएस

इलेक्ट्रॉनिक ब्रेक-फोर्स डिस्ट्रीब्यूशन (ईबीडी) के साथ एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (एबीएस) कार के अचानक ब्रेक लगाने के दौरान मदद करता है. जब कोई अचानक काफी ताकत के साथ ब्रेक लगाता है, तो कार के पहिए लॉक हो जाते हैं और वे अनियंत्रित हो जाते हैं. ईबीडी के साथ एबीएस पहियों को लॉक होने और फिसलने से बचाता है. इससे अचानक ब्रेक लगाने के दौरान भी कार अनियंत्रित नहीं होती है.

इलेक्ट्रॉनिक स्टैबिलिटी कंट्रोल

इलेक्ट्रॉनिक स्टैबिलिटी कंट्रोल (ईएससी) फीचर कार के स्टीयरिंग व्हील एंगल के साथ-साथ उसके अलग-अलग व्हील रोटेशन पर भी नजर रखता है. इमरजेंसी में ईएससी ब्रेक लगाता है और नियंत्रण हासिल करने के लिए इंजन के पावर को संतुलित करता है. इससे उन दुर्घटनाओं से बचने में मदद मिलती है, जो घुमावदार सड़कों में ओवरस्टीयरिंग या अंडरस्टीयरिंग या फिर गीली सड़कों पर कम ट्रैक्शन से हो सकती हैं.

टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम

टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम (टीपीएमएस) वह फीचर है, जो आपकी कार के चारों टायरों की हवा की स्थिति के बारे में जानकारी देता है. कार के चारों टायरों में सटीक हवा का दबाव वाहन की स्थिरता और बेहतर संचालन के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है. हालांकि, अक्सर टायर का दबाव कम होने पर ड्राइवर को तुरंत पता नहीं चलता है. एक टीपीएमएस चार टायरों में से किसी में भी हवा का दबाव कम होने पर इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर को अलर्ट भेजती है.

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ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन

सड़क पर गाड़ी चलाते समय कई ब्लाइंड स्पॉट भी मिल जाते हैं, जिस पर ड्राइवर को नजर नहीं पड़ती है. ऐसी जगहें कभी-कभी दुर्घटना का कारण बन सकती हैं. इसलिए इन पर निगरानी रखने की जरूरत है. सड़कों पर मिलने वाले ब्लाइंड स्पॉट जानकारी देने के लिए कारों में ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन सिस्टम नामक फीचर दिया जाता है, जो ड्राइवर को ऐसी कोई भी जानकारी भेजने के लिए सेंसर का इस्तेमाल करता है. इससे गाड़ी और उसमें बैठी सवारी को सुरक्षा मिलती है.

क्या सभी कारों में एयरबैग होना जरूरी है?

हां, एयरबैग हर कार के लिए एक अनिवार्य सुरक्षा फीचर है।

एबीएस और ईबीडी क्या करते हैं?

ये सिस्टम ब्रेक लगाने पर पहियों को लॉक होने से रोकते हैं, जिससे कार का नियंत्रण बनाए रखा जा सके।

ईएससी कैसे काम करता है?

ईएससी स्टीयरिंग व्हील के कोण और पहियों के रोटेशन की निगरानी करता है और जरूरत पड़ने पर ब्रेक लगाकर कार को संतुलित करता है।

टीपीएमएस का महत्व क्या है?

यह सिस्टम टायरों के हवा के दबाव की स्थिति की निगरानी करता है, जिससे टायरों के कम दबाव पर ड्राइवर को अलर्ट किया जा सके।

ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन कैसे काम करता है?

यह सेंसर का उपयोग करके ड्राइवर को उन क्षेत्रों के बारे में सूचित करता है जो दृष्टि में नहीं आते हैं।

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