कार कंपनियों पर लग सकता है करोड़ों रुपये का जुर्माना, ये हैं ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के निशाने पर

बीईई ने अपनी जांच में किआ, हुंडई, रेनॉल्ट, स्कोडा, फॉक्सवैगन और निसान जैसे कार निर्माताओं को अनिवार्य उत्सर्जन मानदंडों का पालन करने में दोषी पाया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बीईई ने केंद्र सरकार से इन कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाने की सिफारिश की है.

By KumarVishwat Sen | November 10, 2023 1:32 PM

नई दिल्ली : दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर अब देशभर की एजेंसियां और सरकारें हरकत में आ गई हैं. ऐसी स्थिति में बस, कार, टैक्सी, ऑटो पर गाज गिरने लगी है. खबर तो यह भी है कि उत्सर्जन मानदंडों का सही पालन नहीं करने को लेकर सरकार कार निर्माता कंपनियों पर ही गाज गिराने की तैयारी में जुट गई है. मीडिया की रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि भारत की कई प्रमुख कार निर्माता कंपनियों को कथित तौर पर उत्सर्जन मानदंडों का सही से पालन करने के मामले में दोषी पाया गया है. बताया यह भी जा रहा है कि ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) की ओर से उत्सर्जन मानदंडों का सही से पालन नहीं करने वाली कार निर्माता कंपनियों पर करोड़ों रुपये के जुर्माना लगाने की सिफारिश की गई है.

दोषी कंपनियों पर भारी जुर्माने की सिफारिश

अंग्रेजी के अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बीईई ने अपनी जांच में किआ, हुंडई, रेनॉल्ट, स्कोडा, फॉक्सवैगन और निसान जैसे कार निर्माताओं को अनिवार्य उत्सर्जन मानदंडों का पालन करने में दोषी पाया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बीईई ने केंद्र सरकार से इन कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाने की सिफारिश की है. बीईई की सिफारिश में यह भी कहा गया है कि इन कार निर्माता कंपनियों को अविलंब ऐसे वाहनों के निर्माण की ओर कदम बढ़ाना होगा, जो कम प्रदूषण फैलाते हैं या फिर जो ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल से चलते हैं.

Also Read: गरीबों की किस्मत चमकाने आ गई Maruti, सिर्फ 5 लाख में दे रही ये कार, 30000 रुपये की छूट

देश के कई शहरों में एक्यूआई खतरनाक स्तर पर

बताते चलें कि शरद ऋतु की शुरुआत से ही दिल्ली समेत देश के कई शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है. खासकर, दिल्ली-एनसीआर के लोगों को जहरीले प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है. वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) देश के कई शहरों में खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है. हालांकि, हर साल जाड़े के दिनों में सघन आबादी वाले शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है और हर साल गाड़ियों से निकलने वाले धुंए को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है.

Also Read: आनंद महिंद्रा अपनी इस Electric SUV पर गरीबों को दे रहे 3.5 लाख तक की छूट का तोहफा, चूके तो हाथ मलते रह जाएंगे

किस स्थिति में लगेगा जुर्माना

बता दें कि कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल इकोनॉमी (सीएएफई) मानदंड को इस साल की जनवरी से ही देश में लागू कर दिया गया है, जिसका लक्ष्य अनिवार्य रूप से वाहन उत्सर्जन स्तर को कम करना है. इसे किसी कंपनी के पूरे बेड़े पर लागू किया जाना है. किसी विशेष कंपनी के लिए सीएएफई लक्ष्य की गणना मॉडल के वजन और बेची गई इकाइयों की संख्या को ध्यान में रखते हुए की जाती है. यह एक कंपनी के तहत सभी मॉडलों और बेचे गए प्रत्येक मॉडल की सभी इकाइयों के लिए किया जाता है. इसमें सीओ2 का उत्सर्जन स्तर या सीएएफई लक्ष्य की गणना इन संख्याओं के आधार पर की जाती है. यदि किसी विशेष कंपनी के बेड़े का उत्सर्जन स्तर अनिवार्य आंकड़ों से ऊपर है, तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है.

Also Read: रतन टाटा ने गरीबों को दिया दिवाली गिफ्ट, अब हर कोई खरीद सकेगा Electric Car, जानें कौन सी है गाड़ी

Next Article

Exit mobile version