ChatGPT और AI का इस्तेमाल अब मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी में भी, जानिए क्या है इलाज की नयी इबारत

विश्व में कई मनः चिकित्सा संस्थानों में मनोरोग के इलाज में चैटजीपीटी एआइ की मदद ली जा रही है. अर्जेंटीना विश्वविद्यालय के छात्रों में अवसाद, चिंता के लक्षणों की जांच के लिए एआइ चैटबॉट्स के इस्तेमाल और प्रभाव की जांच की गई. इससे चैटबॉट्स के उपयोग को पारंपरिक चिकित्सा के पूरक के रूप में देखा जा रहा है

By Rajeev Kumar | August 9, 2023 11:46 PM
an image

ChatGPT AI Use In Psychiatry : दुनिया के कई देशों में मनोरोग के इलाज में ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद ली जा रही है. अपने देश में भी इसके जल्द शुरू होने की उम्मीद है. मनोरोग के इलाज में एआइ की मदद लेनेवाला रांची का केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीआइपी) देश का पहला संस्थान बनने जा रहा है.

संस्थान के परिसर में ‘एआइ लैब’ और ‘स्टीमुलेशन सेंटर’ की शुरुआत हो रही है. संस्थान के डॉक्टर करीब एक साल तक इस तकनीक का परीक्षण करेंगे. सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद मनोरोगियों के इलाज में इस तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया जा सकता है.

विश्व में कई स्थानों पर हो रहा उपयोग

विश्व में कई मनः चिकित्सा संस्थानों में मनोरोग के इलाज में एआइ की मदद ली जा रही है. इसमें चैट जीपीटी का इस्तेमाल अधिक होता है. अर्जेंटीना विश्वविद्यालय के छात्रों में अवसाद और चिंता के लक्षणों की जांच के लिए एआइ आधारित चैटबॉट्स का इस्तेमाल और इसके प्रभाव की जांच की गई. अध्ययन के परिणामों से पता चला कि चैटबॉट्स के उपयोग को पारंपरिक चिकित्सा के पूरक के रूप माना जा सकता है.

Also Read: ChatGPT जैसे AI टूल चुटकियों में तोड़ दे रहे पासवर्ड, ऐसे बचें खतरे से

नयी इनसाइट्स खोजने में चैटजीपीटी कारगर

प्रशिक्षित एआइ थेरेपिस्ट्स की मानें, तो चैटजीपीटी सकारात्मक बातचीत करने, सक्रिय रूप से सुनने और स्पष्ट चिकित्सा सलाह देने में बहुत प्रभावी नहीं होगा. यह पाया गया कि चैटजीपीटी चिकित्सक के लिए बातचीत का सार निकालते समय महत्वपूर्ण विवरण में चूक कर सकता है.

अध्ययन से यह भी पता चलता है कि एक ही रोगी से कई वार्तालापों के बाद नयी इनसाइट (अंतर्दृष्टि) खोजने के लिए चैटजीपीटी का उपयोग किया जा सकता है. ऐसे में यह चिकित्सकों के लिए एक मूल्यवान उपकरण बन सकता है.

क्या कहते हैं चिकित्सक?

सेंटर के प्रभारी डॉ उमेश बताते हैं कि आनेवाला समय एआइ का ही है. ऐसे में बेहतर इलाज के लिए बेहतर तकनीकी चाहिए. एआइ के माध्यम से जितना अच्छा डेटा सिस्टम में होगा, उतना ही अच्छा इलाज होगा. चैट जीपीटी जैसी तकनीक इसमें काफी सहायक हो सकती है. सीआइपी में जल्द ही यह काम शुरू होगा.

सीआइपी के निदेशक डॉ बासुदेव दास बताते हैं कि अब तक देश के किसी मनोचिकित्सा संस्थान से एआइ से इलाज शुरू करने की सूचना नहीं है. सीआइपी इसकी शुरुआत कर रहा है. समय के साथ इलाज की तकनीक में भी बदलाव हो रहा है. यह उसी का एक हिस्सा है.

(मनोज सिंह की रिपोर्ट)

Also Read: AI और मशीन लर्निंग तकनीक पता लगायेगी आयुष्मान भारत योजना में धोखाधड़ी

Exit mobile version