भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने वकीलों और वादियों को उच्चतम न्यायालय की एक फर्जी वेबसाइट को लेकर आगाह किया और मौद्रिक लेन-देन के दौरान सावधानी बरतने के लिए कहा. शीर्ष अदालत ने धोखाधड़ी के लिए बनाई गई फर्जी वेबसाइट के मद्देनजर एक सार्वजनिक नोटिस भी जारी किया और जनता से कहा है कि वे किसी भी वेबसाइट लिंक की प्रामाणिकता की पुष्टि किए बिना उसे न तो क्लिक करें और न ही साझा करें. जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, कृपया सावधान रहें. उस लिंक पर क्लिक न करें. इसका उपयोग मौद्रिक लेन-देन के लिए न करें.
उच्चतम न्यायालय की ओर से जारी नोटिस में कहा गया, भारत के उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री को फर्जी वेबसाइट के जरिए धोखाधड़ी के बारे में अवगत कराया गया है. आधिकारिक वेबसाइट की नकल करते हुए एक फर्जी वेबसाइट बनाई गई है और यूआरएल पर लगाई गई है. नोटिस में कहा गया है यूआरएल के माध्यम से धोखाधड़ी करने वाले लोगों द्वारा व्यक्तिगत विवरण और गोपनीय जानकारी मांगी जा रही है. किसी भी आगंतुक को दृढ़ता से सलाह दी जाती है कि वह उपरोक्त यूआरएल पर किसी भी व्यक्तिगत और गोपनीय जानकारी को साझा या प्रकट न करें, क्योंकि इससे अपराधियों को जानकारी चुराने में मदद मिलेगी.
नोटिस में कहा गया है कि भारत की शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री कभी भी व्यक्तिगत जानकारी, वित्तीय विवरण या अन्य गोपनीय जानकारी नहीं मांगती है. इसमें कहा गया है अगर आप ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार होते हैं तो अपने ऑनलाइन खातों के पासवर्ड तत्काल बदल दें, अपने बैंक से या क्रेडिट कार्ड कंपनी से तत्काल संपर्क करें और उसे अपने साथ हुई धोखाधड़ी की जानकारी दें. इस नोटिस के अनुसार, उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री ने साइबर धोखाधड़ी की आशंका के चलते कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इसकी जांच करने और इसके षड्यंत्रकारियों को न्याय के दायरे में लाने के लिए कहा है.