क्या आपको मालूम हैं CNG (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस ) वाहन जिन्हे हम पर्यावरण के अनुकूल मानते हैं वे काफी तेजी के साथ प्रदूषण फैला रहे हैं. हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सड़क पर वाहनों से होने वाला उत्सर्जन प्रयोगशाला परीक्षणों में दर्ज किए गए उत्सर्जन से काफी अधिक है. यह अध्ययन, द रियल अर्बन एमिशन (TRUE) पहल का हिस्सा है, जिसे दिल्ली और गुरुग्राम में अधिकारियों के सहयोग से किया गया था, जिसमें वाहनों से वास्तविक दुनिया में होने वाले उत्सर्जन को मापने के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग किया गया था.
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क्या CNG वाहनों पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है?
अध्ययन में यह पाया गया कि CNG से चलने वाले वाहन, जिसे एक स्वच्छ विकल्प माना जाता है, उच्च स्तर का NOx उत्सर्जित करते हैं. यह CNG को ‘स्वच्छ’ ईंधन के रूप में देखने की धारणा को चुनौती देता है. उदाहरण के लिए, प्रयोगशाला परीक्षणों में पाया गया कि क्लास II लाइट गुड्स वाहन अपनी NOx सीमा से 14.2 गुना अधिक उत्सर्जन करते हैं, जबकि टैक्सियों ने चार गुना अधिक मात्रा में उत्सर्जन किया. ये निष्कर्ष वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रयोगशाला परिणामों पर पूरी तरह निर्भर रहने के बजाय सड़क पर वाहनों से वास्तविक उत्सर्जन पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व को उजागर करते हैं.
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BS-VI बसें BS-IV बसों की तुलना में 95 प्रतिशत कम NOx उत्सर्जित करती हैं
अध्ययन के निष्कर्षों का विश्लेषण इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (ICCT) ने किया, उन्होंने बताया कि BS-VI निजी कारों से नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) उत्सर्जन BS-IV कारों की तुलना में 81 प्रतिशत कम है. इसी तरह, BS-VI बसें BS-IV बसों की तुलना में 95 प्रतिशत कम NOx उत्सर्जित करती हैं.
टैक्सियों और लाइट गुड्स वाहनों जैसे वाणिज्यिक वाहनों में निजी कारों की तुलना में काफी अधिक NOx उत्सर्जन पाया गया, भले ही वे समान उत्सर्जन मानकों को पूरा करते हों. इस रिपोर्ट का विमोचन एक महत्वपूर्ण समय पर हुआ है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (AIS) 170 को अंतिम रूप देने और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रिमोट सेंसिंग के कार्यान्वयन का निर्देश दिया है. AIS 170 रिमोट सेंसिंग उपकरणों के लिए तकनीकी पैरामीटर स्थापित करेगा, जिससे अधिकारी वास्तविक समय में वाहन उत्सर्जन को माप सकेंगे. पीटीआई से इनपुट.
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