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55% लोग खरीदना चाहते हैं खुद की कार, 54% को सेकंड हैंड भी चलेगी

Pre owned Car Market In India, Corona, India, OLX, people, vehicle, car, Pre owned Car: कोरोना काल ने हमारी जिंदगी को गहरे तक प्रभावित किया है. इस महामारी को रोकने के लिए लगाये गए लॉकडाउन के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में सुस्ती आयी है. इसका असर भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर भी पड़ा है. अब चूंकि उद्योग धंधे और बाजार धीरे धीरे खोले जा रहे हैं, ऐसे में अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 3, 2020 11:51 AM

Pre Owned Car, Corona, India: कोरोना काल ने हमारी जिंदगी को गहरे तक प्रभावित किया है. इस महामारी को रोकने के लिए लगाये गए लॉकडाउन के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में सुस्ती आयी है. इसका असर भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर भी पड़ा है. अब चूंकि उद्योग धंधे और बाजार धीरे धीरे खोले जा रहे हैं, ऐसे में अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है.

पिछले दो महीनों में जहां मारुति सुजुकी, ह्युंडई, टाटा, महिंद्रा जैसी वाहन निर्माताओं ने बिक्री में अच्छी वृद्धि दर्ज की है, वहीं सेकेंड हैंड गाड़ियों की तरफ भी लोगों का रुझान बढ़ता देखा जा रहा है. ओएलएक्स के एक हालिया सर्वे में कोरोना की वजह से बढ़ती सेकेंड हैंड कार इंडस्ट्री के बारे में कुछ अहम जानकारियां सामने आयीं, आइए जानें-

55% लोग खरीदना चाहते हैं खुद की गाड़ी

कोरोनावायरस के बढ़ते प्रभाव से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की अहमियत समझी जा रही है. लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट और शेयर्ड मोबिलिटी के सा​धनों से बचना चाह रहे हैं और इसी वजह से खुद की गाड़ी खरीदने के प्रति रुझान बढ़ा है.

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इस सर्वे में भाग लेनेवाले 55 प्रतिशत लोगों ने कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से खुद के लिए पर्सनल कार खरीदने का इरादा बनाया, जबकि कोरोना काल से पहले सिर्फ 48 प्रतिशत लोग ही पर्सनल व्हीकल खरीदना चाह रहे थे.

सेकंड हैंड कार की मांग बढ़ी

ओएलएक्स की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई तक सेकेंड हैंड कारों की मांग में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. यह फरवरी की तुलना में काफी ज्यादा है, जब कोविड-19 के प्रभावों को पूरी तरह से महसूस नहीं किया गया था. बता दें कि सेकेंड हैंड कार इंडस्ट्री का वॉल्यूम नयी कार बाजार के लगभग एक तिहाई से ज्यादा है और आनेवाले दिनों में इसके बढ़ने की उम्मीद है.

ओएलएक्स के सर्वे में यह बात सामने आयी कि सर्वे में शामिल 56 प्रतिशत लोग अभी भी अगले 3-6 महीनों में कार खरीदने की योजना बना रहे हैं. इनमें से 20 प्रतिशत लोगों का झुकाव वित्तीय चिंताओं के कारण नयी की जगह सेकेंड हैंड कारों की तरफ बढ़ गया है.

नयी कार महंगी, कार खरीदने का बजट हुआ कम

पिछले कुछ महीनों में नये एमिशन और सेफ्टी नियमों लागू होने की वजह से नयी कारों की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. यही वजह है कि सेकेंड हैंड कार वैल्यू-फॉर-मनी बन गई है. नयी कारों की कीमत में बढ़ोतरी का प्रभाव बड़े स्तर पर देखने को मिला है. इस वजह से सेकेंड हैंड कार सेगमेंट की ओर रुझान बढ़ रहा है.

इस सर्वे में शामिल 72 प्रतिशत लोगों ने कार खरीदने के लिए अपना बजट कम कर लिया है. सेकेंड हैंड कार खरीदने के इच्छुक ग्राहक में से लगभग आधे अब 3 लाख रुपये कीमत तक के पैसेंजर व्हीकल की तलाश कर रहे हैं, जबकि लगभग 40 प्रतिशत नयी कार के खरीदारों ने भी यही बजट बना रखा है. मालूम हो कि फिलहाल देश में सबसे सस्ती नयी कार मारुति ऑल्टो 800, रेनॉ क्विड, डैटसन रेडिगो है, जिनकी दिल्ली-एक्स शोरूम कीमत लगभग 2.85 लाख रुपये के आसपास है.

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