Digital Personal Data Protection Bill 2023 : डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल हाल ही में संसद में पास हुआ है और इसे राष्ट्रपति की भी मंजूरी मिल गई है. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद DPDP बिल अब एक्ट यानी अधिनियम बन गया है. इसकी जानकारी संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया के जरिये दी है. इस अधिनियम में डिजिटल पर्सनल डेटा के प्रोटेक्शन और पर्सनल डेटा का संवर्द्धन करने वाले निकायों पर बाध्यता लागू करने का उपबंध किया गया है.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस एक्ट में डेटा सुरक्षा के लिए समुचित प्रावधान किये गये हैं. जो भी डेटा लिया जाएगा, उसका कानून के अनुसार उपयोग किया जाएगा. उपयोग के बाद डेटा को डिलीट करना होगा. किसी भी व्यक्ति का डेटा, किसी प्लैटफाॅर्म या ऐप पर आने वाला डेटा अब कानून के तहत आयेगा. इस डाटा को जिस उद्देश्य के लिए लिया जाये, उसी उद्देश्य से उपयोग किया जाये.
Also Read: Data Protection Bill: राजीव चंद्रशेखर बोले- यूजर्स की प्राइवेसी पर आंच नहीं आने देगा डेटा सुरक्षा विधेयककेंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि डीपीडीपी विधेयक अब अधिनियम बन गया है. अब भारतीय नागरिकों के व्यक्तिगत डिजिटल डेटा का दुरुपयोग या उसकी रक्षा नहीं कर पाने पर जिम्मेदार इकाई पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगेगा. व्यक्तिगत डेटा के उल्लंघन के मामले की सूचना डेटा संरक्षण बोर्ड व यूजर्स को देनी होगी.
बच्चों के डेटा का उपयोग उसके संरक्षक की मंजूरी के बाद ही किया जा सकेगा. टेक कंपनियों को अब यूजर्स की डेटा की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम करने होंगे और किसी भी तरह के डेटा लीक होने पर इसकी जानकारी सबसे पहले डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड और यूजर्स को देनी होगी.
Also Read: Data Protection Bill: डेटा प्रोटेक्शन बिल से नागरिकों की निजता को कितना खतरा? जानेंडिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम के बारे में वैष्णव ने कहा कि पिछले कई वर्षों में संसद की स्थायी समिति सहित अनेक मंचों पर कई घंटों तक इस पर चर्चा हुई है. उन्होंने कहा कि 48 संगठनों तथा 39 विभागों / मंत्रालयों ने इस पर चर्चा की और इनसे 24 हजार सुझाव/विचार प्राप्त हुए. उन्होंने कहा कि इस विधेयक की भाषा को काफी सरल रखा गया है ताकि आम लोग भी इसे आसानी से समझ सकें.
विधेयक के सिद्धांतों के संबंध में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का डेटा, किसी प्लैटफाॅर्म या ऐप पर आने वाला डेटा अब कानून के तहत आयेगा. इसमें कहा गया है कि इस डेटा को जिस उद्देश्य के लिए लिया जाए, उसी उद्देश्य से उपयोग किया जाए. उन्होंने बताया कि इसमें प्रावधान किया गया है कि जितना डेटा चाहिए, उतना ही लिया जाए और किसी व्यक्ति के निजी डेटा में बदलाव आने पर उसके अनुरूप ही अनुपालन किया जाए. विधेयक के उद्देश्य में कहा गया कि जितने समय तक डेटा को रखना चाहिए, उतने ही समय तक रखा जाए. वैष्णव ने कहा कि इसके माध्यम से डेटा सुरक्षा की जवाबदेही निर्धारित की गई है.
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