लोकसभा में पास हुआ डेटा प्रोटेक्शन बिल, जानें इसमें क्या है खास? विपक्ष क्यों कर रहा विरोध?
अश्विनी वैष्णव ने सदस्यों की आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि सरकार ने कुछ “वैध कारण” पेश किए हैं, जहां सरकार और निजी संस्थाएं स्पष्ट सहमति के बिना नागरिकों के डेटा को प्रोसेस नहीं कर सकतीं. उन्होंने कहा कि यह प्लेटफार्मों पर बच्चों के डेटा के प्रोसेसिंग पर प्रतिबंध भी लगाएगा.
Data Protdection Bill: लोकसभा ने आज यानी कि सोमवार को विपक्ष के शोर-शराबे के बीच डिजिटल वैयक्तिक डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 को ध्वनिमत से पारित कर दिया. विपक्ष ने व्यवस्था का प्रश्न उठाने के उनके अनुरोध को अस्वीकार किए जाने के बाद सदन से बहिर्गमन किया. व्यवस्था का प्रश्न भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पर लगाए गए आरोपों पर था. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ व्यवस्था का प्रश्न उठाने की कोशिश की, लेकिन कार्यवाही का संचालन कर रहे किरीट सोलंकी ने इसकी अनुमति नहीं दी.यहां तक कि बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब को भी विधेयक पारित होने पर सदन में व्यवस्था की कमी पर नाराजगी व्यक्त करते देखा गया. उन्हें यह कहते हुए सुना गया कि जब सदन में व्यवस्था नहीं हो तो विधेयक पारित नहीं किया जा सकता और अगर विधेयक पारित करने का यही तरीका है तो सदन को सभी विधेयक पारित कर देने चाहिए. जब सदन में एक घंटे की चर्चा के बाद डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पारित हो गया, तो कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने बहिर्गमन किया.
जनता के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के सभी प्रावधान
आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विधेयक का संचालन करते हुए कहा कि इसमें जनता के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के सभी प्रावधान हैं. उन्होंने कहा कि इसे सरल भाषा में तैयार किया गया है, यह लैंगिक रूप से संवेदनशील है और वैधता के सिद्धांतों पर आधारित है. वैष्णव ने आगे कहा कि बिल डेटा को कम करना, डेटा की सटीकता और डेटा भंडारण पर समय सीमा भी सुनिश्चित करता है. विधेयक पर चर्चा में विभिन्न दलों के आठ सांसदों ने भाग लिया. उन्होंने स्वतंत्र नियामक की कमी पर चिंता जताई. महताब ने यहां तक कहा कि विधेयक डेटा संरक्षण के बजाय डेटा प्रोसेसिंग के बारे में अधिक था.
वैष्णव ने सदस्यों की आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि
वैष्णव ने सदस्यों की आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि सरकार ने कुछ “वैध कारण” पेश किए हैं, जहां सरकार और निजी संस्थाएं स्पष्ट सहमति के बिना नागरिकों के डेटा को प्रोसेस नहीं कर सकतीं. उन्होंने कहा कि यह प्लेटफार्मों पर बच्चों के डेटा के प्रोसेसिंग पर प्रतिबंध भी लगाएगा. विधेयक में यह भी कहा गया है कि भारत के पास डेटा संरक्षण बोर्ड के रूप में अपना डेटा सुरक्षा नियामक होगा. बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी. इसके अलावा, विधेयक में ऐसे प्रावधान भी हैं जो सरकार को व्यापक छूट देते हैं. प्रस्तावित कानून कहता है कि इसके प्रावधान केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित निकायों द्वारा निजी डाटा के प्रोसेसिंग पर लागू नहीं होंगे.
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल क्या है?
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2023 व्यक्तियों को उनके निजी डेटा की संरक्षा के अधिकार प्रदान करता है. इस विधेयक में अन्य बातों के साथ डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के संरक्षण तथा व्यक्तिगत डेटा का संवर्द्धन करने वाले निकायों पर साधारण और कुछ मामलों में विशेष बाध्यता लागू करने का उपबंध किया गया है. इसके माध्यम से प्रस्तावित विधान के उपबंधों का सरलता और तेजी से कार्यान्वयन करने के लिए डिजाइन द्वारा अनुपालन ढांचे की बात कही गई है. किसी विवाद के पक्षकारों को वैकल्पिक प्रक्रिया और उनकी पसंद के व्यक्ति के माध्यम से समाधान का प्रयास करने में समर्थ बनाने का उपबंध किया गया है. इसमें स्वैच्छिक वचनबंध द्वारा चूक के तीव्र समाधान और सुधार को बढ़ावा देने में समर्थन की बात कही गई है.
डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीति के लिए वैयक्तिक डेटा संरक्षण एक पूर्व अपेक्षा
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि डिजिटल माध्यम ने आर्थिक व्यवहार के साथ सामाजिक व्यवहारों को भी परिवर्तित कर दिया है. व्यक्तिगत डेटा का सेवाओं और अन्य प्रयोजनों के लिए उपयोग एक सामान्य पहलू बन गया है. इसमें कहा गया है कि इस परिप्रेक्ष्य में डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीति के लिए वैयक्तिक डेटा संरक्षण एक पूर्व अपेक्षा बन गई है. ऐसे में ऐसा विधान लाने की आवश्यकता है, जो यूजर्स के निजी डेटा का संरक्षण एवं सुरक्षा का उपबंध करता हो.
बिल का विरोध करनेवाले विपक्षी दलों का क्या कहना है?
सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और पार्टी सदस्यों मनीष तिवारी एवं शशि थरूर आदि ने विधेयक का विरोध किया. उन्होंने कहा कि इसमें निजता का अधिकार जुड़ा है और सरकार को जल्दबाजी में यह विधेयक नहीं लाना चाहिए. विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से सूचना का अधिकार और निजता के अधिकार को कमतर करने का प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि इसमें पीड़ितों को मुआवजे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. चौधरी ने कहा कि इस विधेयक को और विचार-विमर्श के लिए स्थायी समिति या संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाना चाहिए. एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी ने कहा कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला और निगरानी राज स्थापित करने वाला विधेयक है.
यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला
कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला है, ऐसे में इस विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाए. तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने भी कहा कि इस विधेयक को विस्तृत विचार विमर्श के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजा जाए. कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि यह विधेयक निजता के अधिकार के खिलाफ है. राकांपा की सुप्रिया सुले ने कहा कि यह विधेयक डेटा का अत्यधिक केंद्रीयकरण करने वाला और संघीय ढांचे के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से सूचना के अधिकार को कमतर किया गया है. आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि इसके माध्यम से जनता के बुनियादी अधिकार को छीनने का प्रयास किया गया है. विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पेश किये जाने को मंजूरी दे दी. (भाषा इनपुट के साथ)