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Good News: आर्टिफिशियल पैंक्रियाज डायबिटीज के मरीजों को देगा राहत, अब ब्रिटेन ने भी अपनायी यह तकनीक

Diabetes Cure - इंग्लैंड और वेल्स में टाइप 1 मधुमेह (Type 1 Diabetes) वाले 100,000 से अधिक लोगों को जल्द ही एनएचएस पर उनकी स्थिति में सुधार करने के लिए नयी तकनीक की पेशकश की जा रही है. इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए कृत्रिम अग्न्याशय बनानेवाली कंपनियों से इसकी कीमत कम करने को कहा जा रहा है.

By Rajeev Kumar | January 12, 2023 8:08 PM
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Artificial Pancreas for Diabetics: युनाइटेड किंगडम (UK) की सरकारी स्वास्थ्य संस्थान एनएचएस, यानी नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के तहत मधुमेह (Diabetes) रोगियों को कृत्रिम अग्न्याशय (Artificial Panncreas) तकनीक का लाभ मिलेगा. इंग्लैंड और वेल्स में टाइप 1 मधुमेह (Type 1 Diabetes) वाले 100,000 से अधिक लोगों को जल्द ही एनएचएस पर उनकी स्थिति में सुधार करने के लिए नयी तकनीक की पेशकश की तैयारी की जा रही है. इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए कृत्रिम अग्न्याशय बनानेवाली कंपनियों से इसकी कीमत कम करने को कहा जा रहा है.

कृत्रिम अग्न्याशय क्या है?

कृत्रिम अग्न्याशय को आप कुछ ऐसे समझ सकते हैं कि यह लैब में विकसित कोई अंग न होकर, एक ऐसा सिस्टम है जिसमें त्वचा के नीचे एक ग्लूकोज सेंसर लगा होता है, जो पंप के जरिये स्वचालित रूप से वितरित किये जानेवाले इंसुलिन की मात्रा पर नजर रखता है. आसान भाषा में कहें, तो यह खून में शुगर की मात्रा का लगातार निरीक्षण करेगा और जरूरत पड़ने पर इंसुलिन की सही मात्रा शरीर को देगा.

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पूरी तरह ठीक हो सकता है टाइप-1 मधुमेह

कृत्रिम अग्न्याशय को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के शोधकर्ताओं का दावा है कि इसकी मदद से लगातार शुगर की जांच और इंसुलिन की सही मात्रा शरीर को देने से टाइप-1 मधुमेह को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. इसके साथ ही, यह टाइप-2 मधुमेह पीड़ित मरीजों के लिए भी फायदेमंद है. इससे बार-बार उंगली से खून लेकर जांच करने की जरूरत नहीं रह जाएगी और मधुमेह के रोगी भी एक आसान जिंदगी जी पाएंगे.

कृत्रिम अग्न्याशय कैसे करता है काम?

कृत्रिम अग्न्याशय का आकार एक आईफोन के बराबर होता है, जिसे मधुमेह मरीज के कपड़ों अंदर पेट की त्वचा पर चिप्पी की तरह लगा दिया जाता है. इसके साथ एक सेंसर भी जुड़ा होता है, जो ग्लूकोज की मात्रा की जांच करता है. कृत्रिम अग्न्याशय सबसे पहले खून में शुगर की मात्रा की जांच कर मशीन के प्रॉसेसर को इसकी जानकारी भेजेगा. प्रॉसेसर से कमांड मिलते ही त्वचा में इंसुलिन की सही मात्रा जाएगी. इसका इस्तेमाल मधुमेह के गंभीर मरीज को अग्न्याशय की सर्जरी कराने के खर्च और परेशानी से भी निजात दिलायेगा.

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