Data Protection Bill पर आज लोकसभा में होगी चर्चा, जानिये क्या है यह विधेयक और इससे क्या क्रांति आयेगी ?
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2023 व्यक्तियों को उनके निजी डेटा की संरक्षा के अधिकार प्रदान करता है. इस विधेयक में अन्य बातों के साथ डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के संरक्षण तथा व्यक्तिगत डेटा का संवर्द्धन करने वाले निकायों पर साधारण और कुछ मामलों में विशेष बाध्यता लागू करने का उपबंध किया गया है.
Digital Personal Data Protection Bill 2023 : सरकार सोमवार (7 अगस्त) को लोकसभा में चार विधेयकों को पारित करने की कोशिश करेगी, जिसमें डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 भी शामिल है, जिसका 3 अगस्त को पेश किये जाने का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया था. सरकार ने लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पेश किया.
विधेयक को और विचार-विमर्श के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजे जाने की विपक्षी सदस्यों की मांग के बीच इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे सदन में पेश किया. उन्होंने विधेयक पेश करते हुए कुछ सदस्यों की इस धारणा को खारिज कर दिया कि यह एक ‘धन विधेयक’ है. उन्होंने कहा कि यह एक सामान्य विधेयक है.
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल क्या है?
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2023 व्यक्तियों को उनके निजी डेटा की संरक्षा के अधिकार प्रदान करता है. इस विधेयक में अन्य बातों के साथ डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के संरक्षण तथा व्यक्तिगत डेटा का संवर्द्धन करने वाले निकायों पर साधारण और कुछ मामलों में विशेष बाध्यता लागू करने का उपबंध किया गया है.
इसके माध्यम से प्रस्तावित विधान के उपबंधों का सरलता और तेजी से कार्यान्वयन करने के लिए डिजाइन द्वारा अनुपालन ढांचे की बात कही गई है. किसी विवाद के पक्षकारों को वैकल्पिक प्रक्रिया और उनकी पसंद के व्यक्ति के माध्यम से समाधान का प्रयास करने में समर्थ बनाने का उपबंध किया गया है. इसमें स्वैच्छिक वचनबंध द्वारा चूक के तीव्र समाधान और सुधार को बढ़ावा देने में समर्थन की बात कही गई है.
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विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि डिजिटल माध्यम ने आर्थिक व्यवहार के साथ सामाजिक व्यवहारों को भी परिवर्तित कर दिया है. व्यक्तिगत डेटा का सेवाओं और अन्य प्रयोजनों के लिए उपयोग एक सामान्य पहलू बन गया है. इसमें कहा गया है कि इस परिप्रेक्ष्य में डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीति के लिए वैयक्तिक डेटा संरक्षण एक पूर्व अपेक्षा बन गई है. ऐसे में ऐसा विधान लाने की आवश्यकता है, जो उपयोगकर्ताओं के निजी डेटा का संरक्षण एवं सुरक्षा का उपबंध करता हो.
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बिल का विरोध करनेवाले विपक्षी दलों का क्या कहना है?
सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और पार्टी सदस्यों मनीष तिवारी एवं शशि थरूर आदि ने विधेयक का विरोध किया. उन्होंने कहा कि इसमें निजता का अधिकार जुड़ा है और सरकार को जल्दबाजी में यह विधेयक नहीं लाना चाहिए. विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से सूचना का अधिकार और निजता के अधिकार को कमतर करने का प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि इसमें पीड़ितों को मुआवजे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. चौधरी ने कहा कि इस विधेयक को और विचार-विमर्श के लिए स्थायी समिति या संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाना चाहिए.
एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी ने कहा कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला और निगरानी राज स्थापित करने वाला विधेयक है. कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला है, ऐसे में इस विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाए. तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने भी कहा कि इस विधेयक को विस्तृत विचार विमर्श के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजा जाए.
कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि यह विधेयक निजता के अधिकार के खिलाफ है. राकांपा की सुप्रिया सुले ने कहा कि यह विधेयक डेटा का अत्यधिक केंद्रीयकरण करने वाला और संघीय ढांचे के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से सूचना के अधिकार को कमतर किया गया है. आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि इसके माध्यम से जनता के बुनियादी अधिकार को छीनने का प्रयास किया गया है. विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पेश किये जाने को मंजूरी दे दी.
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