Digital Data Protection Bill : डेटा प्रोटेक्शन बिल लोकसभा में पास, जानें इसमें क्या है खास
Digital Personal Data Protection Bill 2023 - लोकसभा में शोर-शराबे के बीच 'डिजिटल वैयक्तिक डेटा संरक्षण विधेयक, 2023' को मंजूरी दे दी, जिसमें डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के संरक्षण तथा व्यक्तिगत डेटा का संवर्द्धन करने वाले निकायों पर साधारण और कुछ मामलों में विशेष बाध्यता लागू करने का उपबंध किया गया है.
Digital Data Protection Bill 2023 : लोकसभा ने शोर-शराबे के बीच ‘डिजिटल वैयक्तिक डेटा संरक्षण विधेयक, 2023’ को मंजूरी दे दी जिसमें डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के संरक्षण तथा व्यक्तिगत डेटा का संवर्द्धन करने वाले निकायों पर साधारण और कुछ मामलों में विशेष बाध्यता लागू करने का उपबंध किया गया है. निचले सदन में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह विधेयक देश के 140 करोड़ लोगों के डिजिटल वैयक्तिक डेटा की सुरक्षा से संबंधित है. उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में डिजिटल इंडिया की चर्चा चल रही है और दुनिया के कई देश इसे अपनाना चाहते हैं, चाहे डिजिटल भुगतान प्रणाली हो, आधार की व्यवस्था हो या डिजिटल लॉकर हो. वैष्णव ने कहा कि 90 करोड़ भारतीय इंटरनेट से जुड़ गए हैं और 4जी, 5जी और भारतनेट के माध्यम से छोटे-छोटे गांव तक डिजिटल सुविधा पहुंच गई है.
जितना डेटा चाहिए, उतना ही लिया जाए
विधेयक का उल्लेख करते हुए वैष्णव ने कहा कि पिछले कई वर्षों में संसद की स्थायी समिति सहित अनेक मंचों पर कई घंटों तक इस पर चर्चा हुई है. उन्होंने कहा कि 48 संगठनों तथा 39 विभागों / मंत्रालयों ने इस पर चर्चा की और इनसे 24 हजार सुझाव/विचार प्राप्त हुए. उन्होंने कहा कि इस विधेयक की भाषा को काफी सरल रखा गया है ताकि आम लोग भी इसे आसानी से समझ सकें. विधेयक के सिद्धांतों के संबंध में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का डेटा, किसी प्लैटफाॅर्म या ऐप पर आने वाला डेटा अब कानून के तहत आयेगा. इसमें कहा गया है कि इस डेटा को जिस उद्देश्य के लिए लिया जाए, उसी उद्देश्य से उपयोग किया जाए. उन्होंने बताया कि इसमें प्रावधान किया गया है कि जितना डेटा चाहिए, उतना ही लिया जाए और किसी व्यक्ति के निजी डेटा में बदलाव आने पर उसके अनुरूप ही अनुपालन किया जाए. विधेयक के उद्देश्य में कहा गया कि जितने समय तक डेटा को रखना चाहिए, उतने ही समय तक रखा जाए. वैष्णव ने कहा कि इसके माध्यम से डाटा सुरक्षा की जवाबदेही निर्धारित की गई है.
विपक्ष का विरोध
मंत्री ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है और इस विधेयक के संबंध में संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित 22 भाषाओं में नोटिस देने की बात कही गई है. उन्होंने बताया कि ऐसे ही यूरोपीय कानून में 16 अपवाद का उल्लेख है जबकि इस विधेयक में चार अपवाद का उल्लेख है. निचले सदन में विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्य शोर- शराबा कर रहे थे. इस पर केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि अच्छा होता कि विपक्षी सदस्य इस महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा करते लेकिन विपक्ष को नागरिकों और उनके अधिकारों की कोई चिंता नहीं है. उन्होंने कहा कि इन्हें सिर्फ नारे लगाने हैं, चर्चा में कोई रुचि नहीं है. मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने ध्वनिमत से ‘डिजिटल वैयक्तिक डेटा संरक्षण विधेयक, 2023’ को मंजूरी दे दी.
यह विधेयक जरूरी, क्योंकि डेटा इज ‘न्यू ऑयल’
निचले सदन में संक्षिप्त चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के पी पी चौधरी ने कहा कि विधेयक में सभी विषयों पर बेहतर संतुलन बनाने का प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि कहां सहमति लेना जरूरी है और कहां अपवाद होगा, इस पर भी खास ध्यान रखा गया है. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के कृष्ण देवरयालू ने कहा कि आज के समय में डेटा काफी महत्वपूर्ण है और इसे ‘न्यू ऑयल’ कहा जा रहा है, ऐसे में यह विधेयक जरूरी है. कृष्ण देवरयालू ने कहा कि लेकिन इस विधेयक में नुकसानों को स्पष्ट नहीं किया गया है तथा ‘डेटा पोर्टिबिलिटी’ पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है. शिवसेना के श्रीकांत एकनाथ शिंदे ने कहा कि डेटा सुरक्षा आज सबसे बड़ी चिंता है लेकिन डेटा सुरक्षा के विषय पर अब तक देश में कोई स्पष्ट कानून नहीं था, ऐसे में इस विधेयक के माध्यम से डेटा सुरक्षा की गारंटी होगी. उन्होंने सीमा पार डेटा हस्तांतरण के विषय पर भी स्थिति स्पष्ट करने को कहा.
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डेटा संबंधी बोर्ड की रूपरेखा पर उठे सवाल
चर्चा में हिस्सा लेते हुए बहुजन समाज पार्टी के रितेश पांडे ने आरोप लगाया कि इस विधेयक के माध्यम से सरकार अपने पास डेटा संबंधी विशेषाधिकार रखने का प्रयास कर रही है. पांडे ने डेटा संबंधी बोर्ड की रूपरेखा पर भी सवाल उठाये. तेलुगू देशम पार्टी के जयदेव गल्ला ने कहा कि इस विधेयक का स्वागत है लेकिन डेटा संरक्षण बोर्ड ज्यादातर सरकार के पक्ष में झुका हुआ दिखता है. चर्चा में बीजू जनता दल की शर्मिष्ठा सेठ और भाजपा के संजय सेठ ने भी हिस्सा लिया. डेटा संरक्षण बोर्ड पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि उक्त बोर्ड एक स्वतंत्र निकाय होगा.
क्यों जरूरी है यह बिल?
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि डिजिटल माध्यम ने आर्थिक व्यवहार के साथ सामाजिक व्यवहारों को भी परिवर्तित कर दिया है. व्यक्तिगत डेटा का सेवाओं और अन्य प्रयोजनों के लिए उपयोग एक सामान्य पहलू बन गया है. इसमें कहा गया है कि इस परिप्रेक्ष्य में डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीति के लिए वैयक्तिक डेटा संरक्षण एक पूर्व अपेक्षा बन गई है. ऐसे में ऐसा विधान लाने की आवश्यकता है, जो उपयोगकर्ताओं के निजी डेटा का संरक्षण एवं सुरक्षा का उपबंध करता हो. ‘डिजिटल वैयक्तिक डेटा संरक्षण विधेयक 2023’ व्यक्तियों को उनके निजी डेटा की संरक्षा के अधिकार प्रदान करता है. इस विधेयक में अन्य बातों के साथ डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के संरक्षण तथा व्यक्तिगत डेटा का संवर्द्धन करने वाले निकायों पर साधारण और कुछ मामलों में विशेष बाध्यता लागू करने का उपबंध किया गया है.
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