DPDP: व्यक्तिगत डिजिटल डेटा के दुरुपयोग पर लगेगा 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना, जानें बिल की खास बातें
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि डीपीडीपी विधेयक अब अधिनियम बन गया है. अब भारतीय नागरिकों के व्यक्तिगत डिजिटल डेटा का दुरुपयोग या उसकी रक्षा नहीं कर पाने पर जिम्मेदार इकाई पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगेगा.
Digital Personal Data Protection Bill 2023 : डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल पिछले हफ्ते ही संसद में पास हुआ है और अब इसे राष्ट्रपति की भी मंजूरी मिल गई है. संसद द्वारा इस सप्ताह पारित सात विधेयकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई है. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल अब एक्ट यानी अधिनियम बन गया है. इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया के जरिये दी है. केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि डीपीडीपी विधेयक अब अधिनियम बन गया है. अब भारतीय नागरिकों के व्यक्तिगत डिजिटल डेटा का दुरुपयोग या उसकी रक्षा नहीं कर पाने पर जिम्मेदार इकाई पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगेगा. व्यक्तिगत डेटा के उल्लंघन के मामले की सूचना डेटा संरक्षण बोर्ड व यूजर्स को देनी होगी. बच्चों के डेटा का उपयोग उसके संरक्षक की मंजूरी के बाद ही किया जा सकेगा. टेक कंपनियों को अब यूजर्स की डेटा की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम करने होंगे और किसी भी तरह के डेटा लीक होने पर इसकी जानकारी सबसे पहले डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड और यूजर्स को देनी होगी.
जितना डेटा चाहिए, उतना ही लिया जाए
विधेयक का उल्लेख करते हुए वैष्णव ने कहा कि पिछले कई वर्षों में संसद की स्थायी समिति सहित अनेक मंचों पर कई घंटों तक इस पर चर्चा हुई है. उन्होंने कहा कि 48 संगठनों तथा 39 विभागों / मंत्रालयों ने इस पर चर्चा की और इनसे 24 हजार सुझाव/विचार प्राप्त हुए. उन्होंने कहा कि इस विधेयक की भाषा को काफी सरल रखा गया है ताकि आम लोग भी इसे आसानी से समझ सकें. विधेयक के सिद्धांतों के संबंध में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का डेटा, किसी प्लैटफाॅर्म या ऐप पर आने वाला डेटा अब कानून के तहत आयेगा. इसमें कहा गया है कि इस डेटा को जिस उद्देश्य के लिए लिया जाए, उसी उद्देश्य से उपयोग किया जाए. उन्होंने बताया कि इसमें प्रावधान किया गया है कि जितना डेटा चाहिए, उतना ही लिया जाए और किसी व्यक्ति के निजी डेटा में बदलाव आने पर उसके अनुरूप ही अनुपालन किया जाए. विधेयक के उद्देश्य में कहा गया कि जितने समय तक डेटा को रखना चाहिए, उतने ही समय तक रखा जाए. वैष्णव ने कहा कि इसके माध्यम से डाटा सुरक्षा की जवाबदेही निर्धारित की गई है.
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क्यों जरूरी है यह बिल?
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि डिजिटल माध्यम ने आर्थिक व्यवहार के साथ सामाजिक व्यवहारों को भी परिवर्तित कर दिया है. व्यक्तिगत डेटा का सेवाओं और अन्य प्रयोजनों के लिए उपयोग एक सामान्य पहलू बन गया है. इसमें कहा गया है कि इस परिप्रेक्ष्य में डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीति के लिए वैयक्तिक डेटा संरक्षण एक पूर्व अपेक्षा बन गई है. ऐसे में ऐसा विधान लाने की आवश्यकता है, जो उपयोगकर्ताओं के निजी डेटा का संरक्षण एवं सुरक्षा का उपबंध करता हो. ‘डिजिटल वैयक्तिक डेटा संरक्षण विधेयक 2023’ व्यक्तियों को उनके निजी डेटा की संरक्षा के अधिकार प्रदान करता है. इस विधेयक में अन्य बातों के साथ डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के संरक्षण तथा व्यक्तिगत डेटा का संवर्द्धन करने वाले निकायों पर साधारण और कुछ मामलों में विशेष बाध्यता लागू करने का उपबंध किया गया है.
नये बिल के प्रावधान 10 प्वाॅइंट में यहां समझें –
यूजर डेटा का इस्तेमाल करने वाली सोशल मीडिया फर्म्स को व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा करनी होगी. भले ही वह थर्ड पार्टी डेटा प्रॉसेसर का इस्तेमाल कर डेटा ऐक्सेस कर रहा हो
डेटा उल्लंघन या डेटा चोरी के मामले में कंपनियों को डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड और यूजर्स को जानकारी देनी होगी
फर्म्स को एक डेटा सुरक्षा अधिकारी नियुक्त करना होगा और यूजर्स को इसकी जानकारी देनी होगी
बच्चों के डेटा और अभिभावकों के साथ शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के डेटा को अभिभावकों इजाजत के बाद ही ऐक्सेस किया जाएगा
केंद्र सरकार को भारत के बाहर किसी भी देश या क्षेत्र में व्यक्तिगत डेटा के ट्रांसफर को रोकने और प्रतिबंधित करने की शक्ति होगी
डेटा प्रोटेक्शन बिल फर्म्स को समन कर सकता है, उनकी जांच कर सकता है और कंपनियों की किताबों और दस्तावेजों का निरीक्षण कर सकता है
डेटा प्रोटेक्शन बिल के फैसलों के खिलाफ अपील की सुनवाई दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा की जाएगी
डेटा प्रोटेक्शन बिल उल्लंघन की प्रकृति और गंभीरता, प्रभावित व्यक्तिगत डेटा के प्रकार पर विचार करने के बाद फर्म्स पर जुर्माना लगा सकता है
अगर विधेयक प्रावधानों का दो बार से अधिक उल्लंघन किया जाता है तो डेटा प्रोटेक्शन बिल सरकार को किसी मध्यस्थ तक पहुंच को ब्लॉक करने की सलाह दे सकता है
फर्म्स पर डेटा उल्लंघन, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा करने में विफलता या डेटा प्रोटेक्शन बिल और यूजर्स को उल्लंघन के बारे में सूचित नहीं करने पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.
जन्म व मृत्यु का तैयार होगा राष्ट्रीय डेटाबेस
जन्म व मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक भी अब कानून बन गया है. अब किसी शिक्षण संस्थान में प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता सूची तैयार करने, आधार संख्या, विवाह के रजिस्ट्रेशन या सरकारी नौकरी में नियुक्ति के लिए एकल दस्तावेज के रूप में जन्म प्रमाण पत्र का उपयोग किया जा सकेगा. यह कानून पंजीकृत जन्म व मृत्यु का एक राष्ट्रीय व राज्य-स्तरीय डेटाबेस बनाने में मदद करेगा.