सरकार ने सब्सिडी में की कटौती तो घट गई इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स की डिमांड, जानें क्या है फेम स्कीम
इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी बड़ी गिरावट आई, जब सरकार की ओर से मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) के लिए सब्सिडी ‘फेम’ को दिया गया. कई कारणों से दोपहिया वाहनों (ईवी समेत) के लिए मध्यम अवधि में बिक्री कम रहने की आशंका हैं.
मुंबई/नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार की ओर से अभी हाल ही में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और खरीद में दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती की गई है. खबर है कि सरकार की ओर से यह कदम उठाए जाने के बाद इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग में गिरावट दर्ज की गई है. मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की खरीद पर दी जाने वाली ‘फेम’ सब्सिडी घटने के बाद दोपहिया ईवी की मांग सुस्त पड़ गई है. गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वाहन कंपनियों को अब शोध एवं विकास (आरएंडडी) के माध्यम से कीमत कम करने पर ध्यान देना होगा.
वित्त वर्ष 2018-19 से 2021-22 में बड़ी गिरावट
‘केयर रेटिंग’ की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कई कारणों से दोपहिया वाहनों (ईवी समेत) के लिए मध्यम अवधि में बिक्री कम रहने की आशंका हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि दोपहिया वाहनों के मुख्य खंड विशेष रूप से 75 सीसी से 110 सीसी की बाइक और 75 सीसी से 125 सीसी के स्कूटर की बिक्री में वित्त वर्ष 2018-19 से 2021-22 में बड़ी गिरावट देखी गई, जबकि पिछले वित्त वर्ष में इसमें कुछ सुधार देखा गया.
सरकार ने सब्सिडी में कितनी की कटौती
रिपोर्ट में कहा गया कि इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी बड़ी गिरावट आई, जब सरकार की ओर से मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) के लिए सब्सिडी ‘फेम’ को दिया गया. रिपोर्ट में कहा गया कि सब्सिडी 15,000 किलोवाट घंटा से घटाकर 10,000 किलोवाट घंटा करने और फैक्टरी कीमत पर पूर्व में 40 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी करने से दोपहिया वाहन बिक्री में अनिश्चितता आई है.
क्या है फेम इंडिया स्कीम
आपको बता दें कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से फेम योजना की शुरुआत की गई है. फेम का पूरा नाम फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाईब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ऑफ इंडिया है. सरकार की इस योजना की शुरुआत वर्ष 2011 में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर राष्ट्रीय मिशन के तौर पर की गई थी. सरकार की इस योजना का उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा देना है, जिसका अंतिम लक्ष्य जीवाश्म ईंधन (फॉसिल्स फ्यूल) पर निर्भरता को कम करना है. इस योजना के तहत सरकार का लक्ष्य वायु प्रदूषण को कम करना और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को भी कम करना है. यह योजना इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के निर्माताओं और खरीदारों को प्रोत्साहन प्रदान करती है.
क्या है फेम इंडिया-II
जैसा कि आपको पहले ही बताया जा चुका है कि देश में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण करने के लिए सरकार की ओर से फेम इंडिया योजना की शुरुआत की गई थी. इसके पहले चरण की समाप्ति के बाद सरकार ने योजना के दूसरे चरण की शुरुआत की है, जिसे फेम इंडिया-II नाम दिया गया है. केंद्र सरकार ने इस योजना के दूसरे चरण के लिए 10,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है. यह योजना राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (एनईएमएमपी) के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शुरू की गई थी. पहला चरण 2015 से 2019 तक चला. इसके दूसरे चरण की शुरुआत 2019 में की गई.
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सरकार ने घटाई सब्सिडी
बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने इस साल के मई महीने में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर लागू फेम-2 (भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण और उन्हें तेजी से अपनाना) योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी को घटा दिया है. यह फैसला एक जून 2023 को या उसके बाद पंजीकृत इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर लागू किया गया है. भारी उद्योग मंत्रालय ने इन परिवर्तनों को अधिसूचित किया है. इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए मांग प्रोत्साहन 10,000 रुपये प्रति किलोवाट घंटा होगा. इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए प्रोत्साहन की सीमा अब वाहनों के फैक्टरी मूल्य का 15 प्रतिशत होगी, जो पहले 40 प्रतिशत थी. सरकार के इस फैसले के बाद इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन खरीदने वालों की जेब पर असर पड़ेगा, क्योंकि अब उन्हें कम सब्सिडी मिलेगी.