Electric Vehicle की बिक्री में 20 फीसदी उछाल, सरकारी खजाने में 11 फीसदी बढ़ा रेवेन्यू
जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों की उपयोगिता को कम करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार खुद ही इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और बिक्री को बढ़ावा दे रही है. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदारों की संख्या में तेज उछाल दर्ज किया गया है. बिक्री में 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
नई दिल्ली : भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग और बिक्री में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है. खास बात यह है कि देश की राजधानी दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री और उसके खरीदारों की संख्या में खासी बढ़ोतरी देखी जा रही है. हालांकि, जीवाश्म ईंधन (पेट्रोल-डीजल) से चलने वाले वाहनों की उपयोगिता को कम करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार खुद ही इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और बिक्री को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए सरकार की ओर से वाहन निर्माताओं और इसके खरीदारों को फेम योजना के तहत सब्सिडी प्रदान की जा रही है. इससे वाहन निर्माताओं को निर्माण लागत में अधिक भार नहीं पड़ रहा है. वहीं, इलेक्ट्रिक वाहनों के खरीदारों को भी जेब अधिक ढीली नहीं करनी पड़ रही है. इसके साथ ही, पर्यावरण संरक्षण और पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के विकल्प के तौर पर इलेक्ट्रिक वाहन बड़े स्तर पर लोगों के सामने आए हैं.
पहली छमाही में बिक्री में 20 फीसदी बढ़ोतरी
द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदारों की संख्या में तेज उछाल दर्ज किया गया है, जबकि इसकी बिक्री में 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. दिल्ली परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की शुरुआती छमाही के दौरान दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री वित्त वर्ष 2022-23 की समान अवधि की तुलना में 20 फीसदी बढ़ गई.
पेट्रोल-डीजल के वाहनों के प्रति घट रही दिलचस्पी
सरकारी आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहन लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं, पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों के प्रति लोगों की रुचि कम हो रही है. इलेक्ट्रिक वाहनों बिक्री में पिछले वित्तीय वर्ष के समान महीनों की तुलना में इस साल अप्रैल और सितंबर के बीच 24 फीसदी से अधिक की कमी देखी गई है.
पहली छमाही में 3,06,135 बिके इलेक्ट्रिक वाहन
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 के 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक राजधानी दिल्ली में 3,06,135 नए वाहन कार, बाइक, स्कूटर और व्यावसायिक वाहनों का पंजीकरण कराया गया है. हालांकि, पिछले साल इसी अवधि में 2,94,305 थे. वाहनों की जिस कैटेगरी ने उपभोक्ताओं का सर्वाधिक ध्यान खींचा है वह इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) है. इस साल 30 सितंबर तक दिल्लीवासियों ने 32,400 ईवी खरीदीं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 26,936 था. इस बार 1 अप्रैल से 30 सितंबर की अवधि के दौरान रजिस्टर्ड डीजल वाहनों की संख्या पिछले साल के 8,393 से घटकर 6,344 हो गई है.
मॉडल और वेरिएंट तलाशते हैं ग्राहक
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने पुष्टि की है कि कार डीलरों के फीडबैक से पता चला है कि खरीदार इलेक्ट्रिक वाहनों के नए मॉडल और वेरिएंट की तलाश कर रहे हैं. हालांकि, डीजल से चलने वाली कारों में रुचि कम हो रही है. लोगों ने यह समझना शुरू कर दिया है कि डीजल से चलने वाली कारें न केवल महंगी हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरनाक हैं. यही कारण है कि इलेक्ट्रिक कारें और बाइक अब अधिक लोकप्रिय हो रही हैं.
अगस्त 2020 में पेश की गई थी इलेक्ट्रिक वाहन नीति
आपको बताते चलें अगस्त 2020 में सरकार की ओर से तीन साल के लिए पहली बार इलेक्ट्रिक वाहन नीति पेश की गई थी. इसके बाद हाल ही में सरकार की ओर से एक बार फिर इसका छह महीने के लिए विस्तार किया है. 2025 तक सभी रजिस्टर्ड नए वाहनों में 25 फीसदी इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य है. इस साल अप्रैल से सितंबर के बीच दिल्ली में रजिस्टर्ड कुल वाहनों में से लगभग 11 फीसदी इलेक्ट्रिक थे. 2023-24 की पहली दो तिमाहियों में नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन और रोड टैक्स से दिल्ली का रेवेन्यू कलेक्शन 1,404 करोड़ रुपये दर्ज किया गया, जो कि इसी अवधि में पिछले वित्त वर्ष की कमाई 1,268 करोड़ की तुलना में लगभग 11 फीसदी की वृद्धि है.
क्या है फेम-2 योजना
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए केंद्र की मोदी सरकार की ओर से वर्ष 2019 में फेम-2 स्कीम की शुरुआत की गई थी. सरकार की इस स्कीम के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद करने पर ग्राहकों को सब्सिडी दी जाती है. शुरुआत में इस स्कीम को 31 मार्च 2022 लागू किया गया था, लेकिन बाद में सरकार ने इस स्कीम की आखिरी तारीख को बढ़ाकर 31 मार्च 2024 कर गया है.
फेम-2 स्कीम के फायदे
सरकार की फेम-2 स्कीम के तहत इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स पर 50 फीसदी से अधिक प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है. यह प्रोत्साहन राशि इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के निर्माण पर भी दी जाती है. सरकार दो पहिया वाहनों के लिए नए प्रोत्साहनों के रूप में 15 हजार रुपये प्रति kWh या वाहन के बैटरी क्षमता लागत का 40 फीसदी तक रकम सब्सिडी के तौर पर प्रदान करती है. फेम-2 स्कीम के तहत न केवल केंद्र सरकार बल्कि राज्य सरकारों की ओर से भी लाभ प्रदान किया जा रहा है.
क्या है सरकार लक्ष्य
केंद्र सरकार ने 2030 तक सभी यात्री वाहनों में से 30 फीसदी को इलेक्ट्रिक वाहन बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 2030 तक सभी दोपहिया वाहनों में से 80 फीसदी को इलेक्ट्रिक स्कूटर और बाइक बनाने का महत्वाकांक्षी योजना शामिल है. कम कार्बन उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन पर कम निर्भरता के साथ भविष्य का एहसास करने के लिए विनिर्माण से लेकर चार्जिंग बुनियादी ढांचे तक सभी मोर्चों पर प्रयास किए जा रहे हैं. उपलब्ध इलेक्ट्रिक स्कूटरों का एक बड़ा वर्ग फेम-2 स्कीम की सब्सिडी से बाहर रखा गया है.