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Electric Vehicles: बैटरी और कच्चे माल के लिए तलाशना होगा चीन का विकल्प, वरना E-Mobility का लक्ष्य रह जाएगा दूर

GTRI की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि बिजली से चलने वाले वाहनों का भारत में विनिर्माण होने से कच्ची सामग्री, खनिज प्रसंस्करण और बैटरी उत्पादन के लिए देश की निर्भरता चीन पर बढ़ जाएगी.

EV Electric Mobility: दुनिया के सभी एक तरफ जहां अपने ट्रांसपार्ट सिस्‍टम को पूरी तरह से ईवी (EV) में बदलने को लेकर काम कर रहे हैं, वहीं हाल ही में आयी एक रिपोर्ट ने ऐसे कुछ सवालों को जन्‍म दे दिया है जिनकी तरफ कम ही लोगों का ध्यान जाता है. भारत की बात करें तो EV सेक्‍टर में इस्‍तेमाल होने वाली ज्‍यादातर सामग्री को हम दूसरे देशों से आयात करते हैं, इनमें चीन बड़ा स्रोत है. अगर भारत में EV का इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ता है तो क्‍या चीन पर हमारी निर्भरता बढ़ेगी?

आर्थिक विचार समूह ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि बिजली से चलने वाले वाहनों का भारत में विनिर्माण होने से कच्ची सामग्री, खनिज प्रसंस्करण और बैटरी उत्पादन के लिए देश की निर्भरता चीन पर बढ़ जाएगी.

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जीटीआरआई ने इस रिपोर्ट में कहा कि बैटरी निर्माण, निस्तारण और चार्जिंग के दौरान प्रदूषक तत्व निकलते हैं. इसके अलावा भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों या ईवी के विनिर्माण में लगने वाली करीब 70 फीसदी सामग्री चीन तथा अन्य देशों से मंगवाई जाती है.

इसमें कहा गया, ईवी के लिए कच्ची सामग्री, खनिज प्रसंस्करण और बैटरी उत्पादन के मामले में भारत की निर्भरता चीन पर बढ़ जाएगी. जीटीआरआई ने कहा कि विश्व स्तर पर बनने वाली हर चार बैटरी में से तीन का निर्माण चीन करता है. गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में सबसे बड़ी लिथियम खदानें चीन के अधिकार में हैं.

रिपोर्ट में ईवी से संबंधित ऐसे 13 मुद्दों की पहचान की गई है जो उपभोक्ताओं, उद्योग तथा सरकार के हितों से जुड़े हैं और जिनका आकलन करना चाहिए. जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, लिथियम आयन बैटरी वाले इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर प्रयोग अभी चल ही रहे हैं. हमें रोजगार, प्रदूषण स्तर, आयात और आर्थिक वृद्धि पर इस प्रकार के वाहनों के दीर्घकालिक असर को समझना होगा. (भाषा इनपुट के साथ)

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