भारत में खूब बिकीं इलेक्ट्रिक गाड़ियां, मगर 10 सालों में दोगुनी हो गई पेट्रोल की खपत

Petrol Consumption: भारत का ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री काफी बड़ा हो चुका है, और पिछले कुछ सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का इस वृहद ऑटो इंडस्ट्री में बड़ा योगदान रहा है, बावजूद इसके पिकले 10 सालों पेट्रोल की खपत भारत में दोगुनी हो गई, आइए जानते हैं इसके पीछे क्या वजह है.

By Abhishek Anand | April 12, 2024 4:11 PM

Petrol Consumption: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि, पिछले एक दशक में भारत में पेट्रोल की खपत दोगुनी से अधिक हो गई है. आंकड़ों में बताया गया है कि 2013-14 और 2023-24 के बीच, देश की वार्षिक पेट्रोल खपत 117 प्रतिशत बढ़ गई है, जो ऐसे समय में हुआ है जब पर्यावरण प्रदूषण और वाहनों के उत्सर्जन के प्रभाव को लेकर चिंता तेजी से बढ़ रही है.

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कोरोना के बाद वाहनों की बिक्री में वृद्धि

पिछले एक दशक में पेट्रोल की खपत में यह भारी वृद्धि परिवहन सहित विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन में कमी के प्रयासों के लिए एक तरह से निराशाजनक है. पेट्रोल का भारतीय परिवहन क्षेत्र में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, खासकर यात्री वाहनों द्वारा. पिछले एक दशक में, वाहनों की बिक्री में तेजी से वृद्धि हुई है, खासकर कोविड-19 महामारी के बाद से, जिसने व्यक्तिगत गतिशीलता के लिए उपभोक्ताओं की पसंद को काफी बढ़ा दिया है. इसके परिणामस्वरूप यात्री वाहनों की मांग बढ़ी, अंततः पेट्रोल की मांग भी बढ़ गई.

पिछले दशक में वार्षिक पेट्रोल खपत में 117 प्रतिशत की भारी वृद्धि

मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों में यह भी बताया गया है कि भारत में डीजल की खपत 2013-4 और 2023-24 के बीच 31 प्रतिशत बढ़ी है. इसका मतलब है कि जहां पिछले दशक में वार्षिक पेट्रोल खपत में 117 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है, वहीं डीजल की बिक्री में लगभग एक तिहाई की वृद्धि हुई है.

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डीजल के मुकाबले पेट्रोल गाड़ियों की वृद्धि

भारतीय यात्री वाहन बाजार में कभी डीजल वाहनों का दबदबा हुआ करता था. हालांकि, पिछले एक दशक में पेट्रोल ने डीजल के दबदबे को पीछे छोड़ दिया है. पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की पसंद कई कारकों के कारण उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है जैसे विनियमन में ढील, डिस्पोजेबल आय में वृद्धि, महत्वाकांक्षी मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं का उदय, देश भर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों के बीच कम होता अंतर आदि.

मार्च 2024 में सबसे ज्यादा पेट्रोल और डीजल की खपत

मार्च 2024 में, भारत ने पेट्रोल और डीजल की खपत का दूसरा सबसे उच्चतम स्तर देखा, जो व्यक्तिगत और व्यावसायिक गतिशीलता दोनों की बढ़ती मांग को दर्शाता है. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) ने कहा है कि इस साल मार्च में कुल ईंधन मांग 4.99 मिलियन बैरल प्रति दिन (एमबीडी) रही, जो पिछले साल इसी अवधि में दर्ज 5.02 एमबीडी से थोड़ी कम है. मार्च 2024 में पेट्रोल की बिक्री सालाना आधार पर (YoY) आधार पर 6.9 प्रतिशत बढ़कर 3.32 मिलियन टन हो गई, जबकि डीजल की बिक्री 3.1 प्रतिशत बढ़कर 8.04 मिलियन टन हो गई.

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पिछले वित्त वर्ष की तुलना में पेट्रोल की बिक्री पिछले वित्त वर्ष में 6.4 प्रतिशत बढ़ी

वित्त वर्ष 2024 में, भारत की ईंधन मांग पिछले वर्ष दर्ज 4.48 एमबीडी से बढ़कर रिकॉर्ड 4.67 एमबीडी पर पहुंच गई. पिछले वित्त वर्ष की तुलना में पेट्रोल की बिक्री पिछले वित्त वर्ष में 6.4 प्रतिशत बढ़ी, जबकि डीजल की बिक्री में 4.4 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई.

पिछले दशक में भारत में पेट्रोल की खपत में कितनी वृद्धि हुई है?

पिछले एक दशक में, भारत में पेट्रोल की खपत 117% बढ़ गई है।

डीजल की खपत में कितना बदलाव आया है?

इसी अवधि में, डीजल की खपत में 31% की वृद्धि हुई है।

पेट्रोल और डीजल वाहनों की लोकप्रियता में क्या बदलाव आया है?

पहले डीजल वाहनों का दबदबा था, लेकिन अब पेट्रोल वाहनों की पसंद में वृद्धि हुई है, जिसका कारण कम कीमतों का अंतर और बढ़ती आय है।

फाइनेंशियल वर्ष 2024 में ईंधन मांग का क्या अनुमान है?

वित्तीय वर्ष 2024 में ईंधन मांग 4.67 मिलियन बैरल प्रति दिन पर पहुँचने का अनुमान है।

पेट्रोल की बिक्री में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में कितनी वृद्धि हुई है?

पेट्रोल की बिक्री में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 6.4% की वृद्धि हुई है, जबकि डीजल की बिक्री में 4.4% की वृद्धि दर्ज की गई है।

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