बिजली खपत मापने की साल-दर-साल बदलती तकनीक दिखा रहा बिजली मीटरों का अनोखा संग्रह
‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ से लैस स्मार्ट मीटर के कारण मासिक मीटर रीडिंग में काफी सुधार हुआ है. स्मार्ट मीटर लगाने से बिल और संग्रह दक्षता में सुधार को भी मदद मिली है जिससे बिजली वितरण कंपनियों के राजस्व में भारी वृद्धि हुई है.
Electricity Meter New Technology : बीते सालों में तकनीक की करवटों ने बिजली के मीटरों की सूरत काफी हद तक बदल दी है, लेकिन इंदौर में विद्युत वितरण क्षेत्र की एक सरकारी कंपनी ने अलग-अलग पीढ़ियों के बिजली मीटरों को अब तक करीने से संजो रखा है. बिजली मीटरों के विकास क्रम की झलक पेश करनेवाले इस अनूठे संग्रह में लगभग साढ़े छह दशक पहले चलन में आये इलेक्ट्रोमेकैनिकल इंडक्शन मीटर से लेकर इन दिनों उपभोक्ताओं के घरों में लगाया जा रहा स्मार्ट डिजिटल मीटर शामिल है.
वर्ष 1960 से 1990 तक प्रचलित था चार किलोग्राम का विदेशी मीटर
मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के जनसंपर्क अधिकारी अवधेश शर्मा कहते हैं कि शहर के पोलोग्राउंड क्षेत्र में कंपनी के मुख्यालय की प्रयोगशाला में बिजली मीटरों का संग्रह है, जिसमें अलग-अलग पीढ़ियों के लगभग 20 बिजली मीटर सुरक्षित रखे गए हैं. पीटीआई – भाषा को उन्होंने बताया, इस संग्रह में सबसे पुराना मीटर इलेक्ट्रोमेकैनिकल इंडक्शन मीटर है. लगभग चार किलोग्राम वजन का यह मीटर विदेश से आयात किया जाता था और वर्ष 1960 से 1990 तक प्रचलित था.
धातु और चुम्बक वाले मीटरों में छेड़छाड़ की आशंका
अवधेश शर्मा ने बताया कि कंपनी के संग्रह में सेमी इलेक्ट्रोमेकैनिकल मीटर, रेडियो आवृत्ति आधारित मीटर, सिम से चलने वाले मीटर और ब्लूटूथ तकनीक वाले मीटर भी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि पुरानी पीढ़ी के बिजली मीटरों के निर्माण में बड़ी मात्रा में धातु और चुम्बक का इस्तेमाल होता था, जिससे इनमें छेड़छाड़ की आशंका रहती थी. शर्मा ने बताया कि इस कमी को देखते हुए अगली पीढ़ियों के मीटरों में धातु और चुम्बक का इस्तेमाल कम होता चला गया और फाइबर और अन्य सामग्री से डिजिटल मीटर बनाये जाने लगे.
अब जमाना स्मार्ट डिजिटल मीटर का
शर्मा ने यह भी बताया कि पश्चिमी मध्यप्रदेश में पुरानी पीढ़ी के मीटरों को नयी पीढ़ी के मीटरों से बदलने का काम जारी है और अब तक उपभोक्ताओं के घरों में अत्याधुनिक तकनीक वाले करीब चार लाख स्मार्ट डिजिटल मीटर लगाये गए हैं. उन्होंने बताया कि इन मीटरों की रीडिंग लेने के लिए किसी कर्मचारी की आवश्यकता नहीं होती और उपभोक्ताओं की बिजली खपत का ब्योरा विद्युत वितरण कंपनी के कंट्रोल रूम में अपने आप दर्ज होता रहता है, जिसके आधार पर महीने की तय तारीख को उपभोक्ताओं तक बिल पहुंचा दिया जाता है.
‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ से लैस स्मार्ट मीटर से बढ़ा राजस्व
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां भी अब घरों में स्मार्ट मीटर लगा रही हैं. वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VI) ने इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र की एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) से हाथ मिलाया है. कंपनी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में कुल मिलाकर 50 लाख स्मार्ट मीटर लगाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. वीआई और ईईएसएल ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बिजली वितरण कंपनियों के लिए एडवांस मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना को लेकर यह साझेदारी की है. आधिकारिक जानकारी के अनुसार, ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ से लैस स्मार्ट मीटर के कारण मासिक मीटर रीडिंग में काफी सुधार हुआ है. स्मार्ट मीटर लगाने से बिल और संग्रह दक्षता में सुधार को भी मदद मिली है जिससे बिजली वितरण कंपनियों के राजस्व में भारी वृद्धि हुई है.